पीलीभीत: मेडिकल कॉलेज का हाल...वेंटिलेटर मौजूद, फिर भी रेफर हो रहीं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी महिलाएं, कैसे सुधरेंगे हालात

पीलीभीत: मेडिकल कॉलेज का हाल...वेंटिलेटर मौजूद, फिर भी रेफर हो रहीं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी महिलाएं, कैसे सुधरेंगे हालात

पीलीभीत, अमृत विचार। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए जिला संयुक्त चिकित्सालय को मेडिकल कॉलेज में तब्दील किया गया। इसके बावजूद मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है। 

आलम यह है कि आईसीयू की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां से हाई रिस्क प्रेग्नेंसी महिलाओं को रेफर किया जा रहा है। जबकि वेंटिलेटर की सुविधा मौजूद है। मगर लापरवाही के चलते उनका संचालन शुरू नहीं हो सका है। जिस वजह से डॉक्टर मरीजों को निजी अस्पताल में रेफर किया जा रहा है।

जनपद में दशकों से संचालित हो रहे संयुक्त जिला चिकित्सालय को उच्चीकरण करते हुए वर्ष 2020 में मेडिकल कॉलेज की मंजूरी मिली थी। इसी क्रम में संयुक्त चिकित्सालय में संचालित हो रहे महिला और पुरुष अस्पताल को भी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध कर दिया गया था। एक अप्रैल 2023 को एलओपी करते हुए मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिला था। 

मेडिकल कॉलेज बनने के बाद जिले वासियों को लगा था कि उन्हें अब इलाज के लिए उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ेगा। शासन की ओर से डॉ. संगीता अनेजा को प्राचार्य बनाकर भेजा गया है। डॉक्टरों की तैनाती की गई। 

वर्तमान समय में जनरल सर्जरी में सात डॉक्टर, डेंटल में तीन, आर्थोपेडिक में चार, नेत्र में तीन डॉक्टरों की तैनाती है। इसके अलावा फिजीशियन, न्यूरो  और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर भी हैं। संसाधन बढ़ने के साथ जब स्टाफ बढ़ा तो मरीजों को लगा था कि उन्हें बेहतर इलाज मिलेगा। मगर यहां व्यवस्थाएं में सुधारवाने के बजाए बेपटरी हो गई है। मेडिकल कॉलेज बनने के बाद महिला अस्पताल को सौ शैया भवन में शिफ्ट कर दिया गया है।

जहां प्रतिदिन कम से कम 500 की ओपीडी रहती है। इनमें करीब 50 फीसदी केस प्रसव के लिए आते हैं। नियमानुसार हाई रिस्क गर्भवती के लिए मेडिकल कॉलेज में आईसीयू वार्ड की सुविधा होनी चाहिए। मगर यहां इस व्यवस्था को चालू नहीं किया गया है। यह स्थिति तब है जब वर्तमान समय में 22 वेंटिलेटर भी उपलब्ध है। संचालन करने के लिए पांच एनेस्थेटिक और पांच ऑपरेटर  भी मौजूद है। जिनमें  एनेस्थेटिक में  डॉ. राधेश्याम गंगवार, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. अश्वनी गुप्ता, डॉ. अवरिल पांडे, डॉ. शुभम जोशी तैनात हैं। 

इसके अलावा पूर्व में वेंटिलेटर चलाने के लिए स्टाफ नर्सों को प्रशिक्षण दिया गया था। ताकि उसका संचालन हो सके। लेकिन इसके बाद भी मरीजों को वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। महिला अस्पताल में हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं के आने पर उन्हें बल्कि रेफर कर दिया जा रहा है। गर्भवती के अलावा तमाम अन्य केसों में भी वेटिलेटर की सुविधा न मिलने पर उन्हें जान गंवानी पड़ रही है। मगर अफसरों की लापरवाही के चलते  वेंटिलेटर को चालू करने की जहमत नहीं उठाई जा रही है। जिस वजह से वेंटिलेटर आज भी धूल फांक रहे हैं।

सांसद भी लिख चुके है पत्र, फिर भी सो रहा महकमा
मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर के संचालन को लेकर कोरोनाकाल में 22 वेंटिलेटर दिए गए थे। जिनका प्रयोग कोरोना काल में भी नहीं हो सका। अभी हाल में एक मरीज को आईसीयू की सुविधा न मिलने पर जान चली गई थी। हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं के अलावा हेडन्जरी समेत कई लोगों की जान भी जा चुकी है।  मगर वेंटिलेटर शुरू नहीं हो सके। मामला संज्ञान में आने पर सांसद वरुण गांधी ने  उनका संचालन कराने के लिए डीएम और सीएमओ  को पत्र लिखा था। मगर फिर भी स्वास्थ्य महकमे में कोई सुध नहीं ली। जिस वजह से आए दिन  आईसीयू के अभाव में मरीजों को रेफर या फिर जान गंवानी पड़ रही है।

आईसीयू की पड़ी जरूरत, तो कर दिया रेफर
शहर के मोहल्ला डालचंद की रहने वाले राधा शर्मा नौ माह की गर्भवती थी। प्रसव पीड़ा होने पर परिवार वाले उन्हें इलाज की आस में गुरुवार शाम चार बजे मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे। जहां पहले तो उसे भर्ती करने में आनाकानी होती रही। फिर गर्भवती की प्लेटलेट्स 61 हजार होने और बीपी हाई निकला। इस पर डॉक्टर उसे रेफर करने लगे। 

जब परिवार वालों ने रेफर करने का कारण पूछा। तो डॉक्टरों ने बताया कि उनके पास अभी आईसीयू वार्ड की सुविधा नहीं है। जो निजी अस्पताल में मौजूद है। इस पर परिवार वाले उसे शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। पति ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में इलाज के नाम पर सिर्फ रेफर किया जा रहा है। कोई भी देखने वाला नहीं है। परिवार की चिंता को देखते हुए उसे निजी अस्पताल में ही ले गए।

मेडिकल कॉलेज में व्यवस्थाएं दुरुस्त कराई जा रही हैं। आईसीयू वार्ड तैयार कराए जा रहे हैं। पुराने वेंटिलेटर में कुछ काम नहीं कर रहे हैं। जिनको ठीक कराने के लिए सप्लाई देने वाली कंपनी से वार्ता की गई है। इस माह आईसीयू वार्ड को चालू करने की पूरी कोशिश की जा रही है।- डॉ संगीता अनेजा, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज

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