बरेली: बहन की डोली से पहले उठी भाई की अर्थी, खुशियां मातम में बदलीं 

अलीगंज में युवक की हत्या से मचा हड़कंप, आज है बहन की बारात 

बरेली: बहन की डोली से पहले उठी भाई की अर्थी, खुशियां मातम में बदलीं 

बरेली, अमृत विचार। बहन की बरात आने से एक दिन पहले युवक का शव गांव की गली में मिला। इससे परिवार में शादी की खुशियां मातम में बदल गईं। परिजनों ने हत्या की आशंका जताते हुए थाना अलीगंज में शिकायती पत्र दिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार युवक के सिर में गंभीर चोट लगने से मौत हुई है।

अलीगंज थाना क्षेत्र के गांव जोगीठेर निवासी राजाराम ने बताया कि उनका तीसरे नंबर का बेटा अशोक यादव (35) बदायूं के वजीरगंज कस्बे एक गैस एजेंसी पर कार्य करता था। उनकी बेटी कविता की शादी पर वह बुधवार को गांव आया। रात को खाना खा गांव में आई एक बरात देखने के लिए निकल गया। 11 बजे उन्हें सूचना मिली कि अशोक गांव की एक गली में राशन दुकान के सामने बेहोशी हालत में पड़ा है। मौके पर पहुंचकर देखा तो अशोक सिर में गंभीर चोट थी। घटना स्थल पर जब तक पुलिस पहुंची तब तक अशोक ने दम तोड़ दिया। इससे घर में शादी की खुशियां मातम में तब्दील हो गईं। परिजनों ने अज्ञात पर हत्या की आशंका जताई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार सिर में गंभीर चोट लगने से खून का थक्का जमने से अशोक मौत हुई है। सीने और पीठ पर भी रगड़ने के निशान हैं।

पहले उठी भाई की अर्थी, फिर घर पर पहुंचा दूल्हा
अलीगंज के जोगीठेर गांव में राजाराम के घर में बुधवार तक शादी की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन रात 11 बजे अचानक बेटे की मौत से खुशियां मातम में बदल गईं। जिस बेटी की शादी थी, वह बार बार भाई के शव को झकझोरते हुए कह रही थी कि उठ जाओ भैय्या मेरी डोली को कांधा आपको ही देना है। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखों से आंसू बहने लगे। गुरुवार को अंतिम संस्कार के बाद दूल्हा कुछ लोगों के साथ पहुंचा। शादी की सभी रस्में गमगीन माहौल में पूरी की गईं।

जोगीठेर के राजाराम ने वजीरगंज क्षेत्र के नंदोली गांव निवासी सुरेंद्र के साथ बेटी कविता का रिश्ता तय किया था। गुरुवार को कविता की बरात आनी थी। परिजनों ने इसकी तैयारियां भी पूरी कर लीं, लेकिन रात में राजराम के बेटे अशोक की मौत हो गई। इससे पूरा परिवार टूट गया। पोस्टमार्टम के बाद जब शव गांव में पहुंचा तो चीख पुकार मच गई। राजाराम जवान बेटे की मौत से गुमसुम बैठे थे, तो अशोक की मां अतरकली बेटे को पुकार रही थीं। कविता शव से लिपटकर भाई को उठाने का प्रयास कर रही थी।

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