बरेली: छह हजार रुपये वर्ग गज बेच रहे किला नदी की जमीन

बरेली: छह हजार रुपये वर्ग गज बेच रहे किला नदी की जमीन

बरेली, अमृत विचार। नमामि गंगे परियोजना के जरिए प्रधानमंत्री गंगा, रामगंगा समेत अन्य छोटी नदियों को संरक्षित कर उनके पानी को स्वच्छ बनाने में जुटे हैं। बरेली जनपद की नकटिया, देवरनियां, रामगंगा नदी के पानी को स्वच्छ करने के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए जा रहे हैं लेकिन किला …

बरेली, अमृत विचार। नमामि गंगे परियोजना के जरिए प्रधानमंत्री गंगा, रामगंगा समेत अन्य छोटी नदियों को संरक्षित कर उनके पानी को स्वच्छ बनाने में जुटे हैं। बरेली जनपद की नकटिया, देवरनियां, रामगंगा नदी के पानी को स्वच्छ करने के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए जा रहे हैं लेकिन किला नदी को बचाने के लिए न तो जनप्रतिनिधि दिलचस्पी दिखा रहे हैं न ही अधिकारी।

राजस्वकर्मियों की साठगांठ से कई भू-माफिया किला नदी की जलमग्न भूमि को सालों से मलबे से पटवाकर बेच रहे हैं। सैदपुर हाकिंस और किला छावनी के बीच में नदी की भूमि पर कई अवैध कालोनियां खड़ी हो चुकी हैं। वर्तमान में छह हजार प्रति गज के हिसाब से भूमि को बेचा जा रहा है। बुधवार को ‘अमृत विचार’ की टीम ने नदी की भूमि पर हो रहे कब्जे की स्थिति परखी। तब राजस्व कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई। किला छावनी क्षेत्र के तीन भू-माफिया हैं जो पुराने मकान टूटने के दौरान निकले मलबे से नदी की जलमग्न भूमि पटवा रहे हैं।

दो-चार दिन पहले ट्रैक्टर-ट्रालियों से मलबा भी डाला गया। भूमि पाटने के कई वीडियो भी वायरल किए गए हैं। मौके पर देखा कि नदी अब तो नाले में तब्दील हो गई है। कुछ साल पहले तक किला छावनी और सैदपुर हॉकिंस के बीच आने-जाने का रास्ता नहीं था लेकिन भू-माफिया ने कुछ अधिकारियों के संरक्षण से किला छावनी और सैदपुर हॉकिंस के बीच नदी पर पुलिया का निर्माण करा लिया।

पुलिया के नीचे से पानी की निकासी के लिए बड़े-बड़े कई पाइप भी डाले हैं। पुलिया दोनों क्षेत्रों को मिलाने में मददगार साबित हो रही। इससे नदी को नुकसान भी पहुंचा। पुलिया के दोनों तरफ 500-500 मीटर तक नदी को पाटकर प्लॉट काटे जा रहे हैं। कई प्लॉट बेचने के बाद बिजली के खंभे तक लगा दिए गए हैं। नदी को पाटने का काम रात में कराया जाता है।

शहर से दूर है नदी, इसलिए अधिकारी नहीं जाते देखने
किला छावनी और सैदपुर हॉकिंस के बीच जहां किला नदी को पाटा जा रहा है वह जगह शहर से काफी दूर है। साथ ही आने-जाने का रास्ता भी पेचीदा है। किला पुल पार कर किला छावनी के अंदर से तंग गलियों से होकर नदी के पास तक लोग पहुंचते हैं। तहसील के अधिकारी भी हलका लेखपाल पर निर्भर रहते हैं। यदि व्यक्ति नदी पाटने की शिकायत भी करता है तो हलका लेखपाल अपने अधिकारियों को समझाकर उन्हें मौके पर जाने नहीं देता। यही वजह है कि भू-माफिया सालों से नदी के अस्तित्व को मिटा रहे हैं। करीब आठ बीघा से अधिक नदी की भूमि बेचने का मामला सामने आया है। कुछ साल पहले तक नदी का फैलाव काफी दूर तक था लेकिन अब नदी नाले में सिमट गयी है।

नदी की भूमि को नजूल भूमि बताकर करा रहे रजिस्ट्री
भू-माफिया ने कई लोगों को नदी की भूमि बेची है। भूमि की रजिस्ट्री कराने को लेकर स्थानीय लोगों ने बताया कि नदी किनारे एक नंबर की भूमि है जो राजस्व रिकार्ड में दर्ज है। साठगांठ करके भूमि खरीदने वालों को नजूल भूमि बताकर नदी की भूमि बेचते हैं और साठगांठ से ही उसकी रजिस्ट्री भी करा देते हैं लेकिन दाखिल खारिज नहीं कराया जाता है।

प्लॉट खरीदने वालों ने भरवा ली पक्की नींव
जिन लोगों ने नदी की भूमि खरीदी है उन्होंने लोगों ने तत्काल पक्की नींव भी भरवा ली। भूमाफिया 50 गज से लेकर 100 गज के प्लाट काटकर बेच रहे हैं। ज्यादातर छोटे प्लॉटों में ही ईंटों से नींव भरी मिली। किसी ने भूमि को मलबे से पाटकर नदी किनारे शौचालय तक बना लिया है।

ताजा समाचार