आपराधिक छवि वाला व्यक्ति सर्वोच्च पद संभालने का हकदार नहीं: हाईकोर्ट

आपराधिक छवि वाला व्यक्ति सर्वोच्च पद संभालने का हकदार नहीं: हाईकोर्ट

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पदोन्नति से जुड़े एक मामले पर अपनी विशेष टिप्पणी में कहा कि पदोन्नति किए जाने वाले उम्मीदवार की उपयोगिता कई कारकों पर निर्भर होती है।

सेवा न्यायशास्त्र में एक नियोक्ता का प्रयास हमेशा यह होना चाहिए कि जिस उम्मीदवार की पदोन्नति की जा रही है, वह योग्यता के अलावा सभी दृष्टिकोणों से उपयुक्त हो और अगर नैतिक अधमता से जुड़े आपराधिक मामले में दोषी ठहराए गए उम्मीदवार को पदोन्नति दी जाती है तो निश्चित रूप से इससे न केवल समाज में गलत संदेश जाएगा बल्कि छात्रों के अबोध मन पर इसका प्रतिकूल  प्रभाव भी पड़ेगा, साथ ही संबंधित संस्थान के प्रशासन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

वर्तमान मामले में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम, 1982 की धारा 18 के तहत वर्ष 2019 से संस्था के प्राचार्य के रिक्त पद को संभालने का कार्यवाहक प्रभार सबसे वरिष्ठ व्याख्याता होने के नाते याची को दिया गया था, लेकिन अपनी मां के बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण याची ने पद संभालने से मना कर दिया।

परिणामस्वरूप विपक्षी को प्राचार्य का कार्यवाहक प्रभार दिया गया,लेकिन याची की मां की मृत्यु होने के बाद उन्होंने अपने दावे पर पुनर्विचार करने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक को एक अभ्यावेदन दिया, लेकिन इसे इस आधार पर खारिज किया गया कि एक बार दावा छोड़ने पर वह पुनः देय नहीं हो सकता। इसके बाद याची ने अन्य स्तरों पर भी प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं हुआ। तभी एक आपराधिक मामले में विपक्षी को दोषी ठहराया गया।

हालांकि बाद में उसे जमानत मिल गई, लेकिन प्रशासनिक अनिश्चितताओं के कारण संस्थान ने कार्यवाहक प्राचार्य के रूप में याची का नाम आगे बढ़ने का निर्णय लिया, लेकिन तभी आश्चर्यजनक रूप से प्रबंधन समिति ने दोषी विपक्षी को न केवल सेवा में बहाल किया बल्कि कार्यवाहक प्रिंसिपल का प्रभार देने का समर्थन भी किया।

हालांकि कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि विपक्षी गंभीर सार्वजनिक अपराध का दोषी है। नैतिक अधमता से जुड़ी सजा किसी व्यक्ति को सर्वोच्च पद संभालने का अधिकार नहीं देती है। अंत में याचिका को स्वीकार करते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक, बस्ती तथा अपर शिक्षा निदेशक द्वारा पारित आदेश को निरस्त कर दिया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकलपीठ ने अशोक कुमार पांडेय की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया है।

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