आईओए प्रमुख उषा ने कहा, कार्यकारी परिषद के सदस्य मुझे दरकिनार करने की कोशिश कर रहे हैं 

आईओए प्रमुख उषा ने कहा, कार्यकारी परिषद के सदस्य मुझे दरकिनार करने की कोशिश कर रहे हैं 

नई दिल्ली। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा ने सोमवार को कहा कि बागी कार्यकारी परिषद के सदस्य अवज्ञा करके उन्हें दरकिनार करने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें उनके द्वारा नियुक्त एक अधिकारी को सेवा बर्खास्तगी पत्र जारी करना भी शामिल है। शुक्रवार को कार्यकारी परिषद के नौ सदस्यों ने यहां आईओए कार्यालय परिसर में एक हस्ताक्षरित नोटिस चिपकाया था जिसमें ‘अनधिकृत व्यक्तियों’ को संघ के मुख्यालय में प्रवेश नहीं करने के लिए कहा गया था। इस नोटिस को उषा ने ‘मनमाना’ बताया और यह उनके द्वारा नियुक्त दो अधिकारियों के लिए था। 

कार्यकारी परिषद के अधिकतर सदस्यों ने इससे पहले दावा किया था कि उन्होंने जनवरी में आईओए सीईओ के रूप में रघुराम अय्यर की नियुक्ति को अमान्य घोषित करने वाले निलंबन आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने यह भी दावा किया कि उन्होंने अजय नारंग को आईओए अध्यक्ष के कार्यकारी सहायक के पद से ‘बर्खास्त’ कर दिया है। उषा ने कार्यकारी परिषद के सदस्यों द्वारा नारंग को दिया गया बर्खास्तगी पत्र मिलने की बात स्वीकार की लेकिन इसे ‘पूर्णतया निरर्थक’ कहकर खारिज कर दिया। 

उषा ने कार्यकारी परिषद के बागी सदस्यों को भेजे अपने जवाब में कहा, यह देखकर निराशा होती है कि हम अब भी एक टीम के रूप में काम नहीं कर पा रहे हैं और आपकी हर हरकत मुझे दरकिनार करने की कोशिश है। उन्होंने कहा, मेरे पास आप सभी को यह याद दिलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है कि कर्मचारियों की नियुक्ति और बर्खास्तगी सहित दैनिक प्रशासनिक कार्य कार्यकारी परिषद का काम नहीं है। कार्यकारी परिषद के रूप में हमें अपनी शक्तियों और अधिकारों का उपयोग आईओए को ऊंचाइयों पर ले जाने के अधिक महत्वपूर्ण कार्य के लिए करना चाहिए।

इस पूर्व दिग्गज धाविका ने कहा, आईओए स्टाफ को निर्देश दिया जाता है कि वे आईओए भवन के भीतर लगाए गए नोटिस की किसी भी प्रति को हटा दें। इसके अलावा आईओए स्टाफ को मेरे कार्यकारी सहायक के माध्यम से मेरे कार्यालय से मार्गदर्शन और निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया जाता है। जनवरी में सार्वजनिक रूप से सामने आई आईओए की आंतरिक कलह अब भी जारी है जबकि पेरिस ओलंपिक शुरू होने में सिर्फ तीन महीने बाकी हैं। उषा ने कहा कि सात जून 2023 को नियुक्त किए गए नारंग का पद पर बने रहना या बर्खास्तगी केवल उनकी सिफारिश पर आधारित होगी, ना कि किसी और की इच्छा पर। उन्होंने कहा, बर्खास्ती दस्तावेज पूरी तरह से अमान्य हैं। अध्यक्ष के कार्यकारी सहायक की नियुक्ति कार्यकारी परिषद के अधिकार क्षेत्र में नहीं है और इसलिए बर्खास्तगी कानून के अनुसार नहीं है। 

महान ट्रैक एथलीट और मौजूदा राज्यसभा सदस्य उषा ने कहा, मैं कैप्टन अजय कुमार नारंग (सेवानिवृत्त) द्वारा किए गए काम से संतुष्ट हूं और उनकी सेवाएं समाप्त करने का कोई कारण नहीं दिखता। उन्होंने कार्यकारी परिषद के सदस्यों से अनुरोध किया कि वे ‘आईओए संविधान द्वारा दी गई शक्तियों और जिम्मेदारियों के इतर काम नहीं करें और उसके प्रावधानों का सीधा उल्लंघन न करें।

उषा ने कहा, मैं एक बार फिर आपसे आग्रह करती हूं कि आप भारत में खिलाड़ियों और ओलंपिक अभियान की बेहतरी के लिए एक टीम के रूप में काम करना शुरू करें। छह जनवरी को अय्यर को सीईओ बनाए जाने के कुछ ही दिनों बाद कार्यकारी परिषद के 15 में से 12 सदस्यों ने आरोप लगाया था कि उषा ने इस नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए उन पर ‘दबाव डाला’ था। इस आरोप को हालांकि उषा ने ‘शर्मनाक’ बताया। 

हालांकि उषा द्वारा आईओए में लाए जाने के बाद से अय्यर और नारंग अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे। उषा ने जोर देकर कहा कि उन्हें सीईओ पर पूरा भरोसा है और उन्हें नियुक्त करने के निर्णय से पीछे नहीं हटेंगी। सीईओ का वेतन 20 लाख रुपये प्रति माह और भत्ते (कुल सीटीसी लगभग तीन करोड़ रुपये प्रति वर्ष) है जो उषा और कार्यकारी परिषद के अधिकांश सदस्यों के बीच विवाद का केंद्र में माना जाता है। 

सदस्यों ने दावा किया है कि आईओए अध्यक्ष ने इस मामले पर ‘एकतरफा’ निर्णय लिया। आरोपों का जवाब देते हुए उषा ने कहा कि सीईओ की नियुक्ति पर कार्यकारी परिषद की बैठक (जनवरी में) में विस्तार से चर्चा हुई थी और उसमें उपस्थित अधिकतर सदस्यों ने इसकी ‘पुष्टि’ की थी।

उन्होंने कहा कि कार्यकारी परिषद के अधिकतर सदस्यों ने आईओए में धन की कमी का हवाला देते हुए सीईओ के लिए निर्धारित पारिश्रमिक पर फिर से बातचीत की सिफारिश की और पूर्व में सहमत वेतन में 30 प्रतिशत से अधिक कटौती की गई। उषा ने कार्यकारी परिषद के सदस्यों को यह भी चेतावनी दी थी कि यदि वे अवज्ञा जारी रखते हैं तो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति हस्तक्षेप कर सकती है और भारत को निलंबित कर सकती है। 

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