Exclusive: रेलवे ट्रैक पर कंक्रीट-जाली की दीवार, ट्रेनें भरेंगी रफ्तार...मवेशी नहीं पहुंच पाएंगे, घटनाओं में भी आएगी कमी, पढ़ें- पूरी खबर

कानपुर में सीआरओ और एमआरओ की घटनाओं पर अंकुश के लिए रेलवे का प्लान

Exclusive: रेलवे ट्रैक पर कंक्रीट-जाली की दीवार, ट्रेनें भरेंगी रफ्तार...मवेशी नहीं पहुंच पाएंगे, घटनाओं में भी आएगी कमी, पढ़ें- पूरी खबर

कानपुर, (शिव प्रकाश मिश्र)। कैटल रन ओवर (सीआरओ) की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए रेलवे पुख्ता इंतजाम कर रहा है। रेल ट्रैक को जालियों और कंक्रीट की दीवार बनाकर कवर किया जा रहा है। यह दीवार बनने के बाद सुपरफास्ट और सेमी हाईस्पीड ट्रेनों की रफ्तार में इजाफा होगा। घटनाओं में भी कमी आएगी। 

प्रयागराज डिवीजन के तहत आने वाले गाजियाबाद से पंडित दीनदयाल उपाध्याय (डीडीयू) वाया कानपुर तक रेल रूट को जालियों और कंक्रीट की दीवार से कवर किया जा रहा है। यह काम इसी साल सितंबर तक पूरा हो जाएगा। दरअसल, वंदे भारत जैसी ट्रेनों में सीआरओ और मैन रन ओवर (एमआरओ) की घटनाएं दिल्ली-हावड़ा रूट पर आए दिन होती हैं। यही हाल अन्य ट्रेनों का है, जिस कारण चालक औसत गति से ही ट्रेनों का संचालन करते हैं। 

चालकों को ट्रैक पर भी नजर रखनी पड़ती है, इसलिए निर्धारित गति से नहीं चल पाते हैं। इन ट्रेनों के साथ उनके पीछे चलने वाली ट्रेनों की चाल भी प्रभावित होती है। इस समस्या के निदान के लिए गाजियाबाद से डीडीयू तक वाया कानपुर और प्रयागराज रेल ट्रैक को लोहे की जाली और कंक्रीट की दीवार बनाकर सुरक्षित किया जा रहा है, जिससे इंजन की बाडी को नुकसान नहीं होगा। कोई भी जानवर अचानक ट्रैक पर नहीं पहुंच सकेगा और सीआरओ की घटनाएं नहीं हो सकेंगी। 

ट्रेनों की राह होगी आसान, भरेंगी फर्राटा 

एनसीआर रीजन के पीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि सीआरओ के कारण ट्रेनें लेट होती हैं। उन्होंने बताया कि आबादी वाले इलाकों में एमआरओ और खुले स्थान जैसे आउटर पर सीआरओ की घटनाएं होती हैं। जानवर चारे की तलाश में पटरी पर आ जाते हैं। सीआरओ की घटना में कई बार रेल इंजन भी प्रभावित हो जाता है। कई बार इंजन से टकराकर जानवर के शरीर का अवशेष रेल इंजन में फंस जाते हैं, जिसे निकालने व जानवर को ट्रैक से हटाने में काफी समय लग जाता है। इससे ट्रेनें प्रभावित होती हैं। दीवार बनने से ट्रेनें इन घटनाओं के कारण लेट नहीं होंगी। 

शहर में 30 प्रतिशत काम हुआ पूरा 

कानपुर में कैंट क्षेत्र से चकेरी तक लगभग चार-पांच किमी का एरिया और कानपुर स्टेशन से जूही खलवा व गोविंदपुरी स्टेशन पर ट्रैक कवर का काम लगभग पूरा हो चुका है। कानपुर परिक्षेत्र में आने वाले हिस्से में लगभग 30 प्रतिशत ट्रैक कवर का काम पूरा है। ट्रैक कवर करने का काम तेजी से चल रहा है। सितंबर से पहले यह काम पूरा हो जाएगा।

घटनाओं और हादसों पर भी लगेगा अंकुश 

सीआरओ की घटनाएं हर रूट पर होती हैं, मगर ये घटनाएं खासकर उन स्थानों पर ज्यादा होती हैं, जहां खुला एरिया होता है। शहर में जूही यार्ड, दादानगर, गुजैनी के अलावा भाऊपुर, घाटमपुर, झींझक, रूरा, इटावा, टूंडला, गाजियाबाद व अलीगढ़ में घटनाएं होती हैं। दीवार बनने से और भी लाभ होंगे, जैसे जानवरों के हादसे रुकेंगे। ट्रेन डिरेलमेंट का खतरा नहीं रहेगा। ट्रेन स्पीड से चल सकेंगी। अपराधिक व पथराव की घटनाओं पर अंकुश लगेगा। 

सीआरओ की घटनाओं को रोकने और ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए गाजियाबाद से डीडीयू तक ट्रैक को लोहे की जाली व कंक्रीट की दीवार बनाकर कवर किया जा रहा है। यह काम इस साल सितंबर तक पूरा हो जाएगा। गाजियाबाद से टूंडला तक रेल ट्रैक को कवर करने का काम इसी माह अप्रैल में पूरा हो जाएगा।- हिमांशु बडोनी, डीआरएम, प्रयागराज डिवीजन

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