बरेली: संतोष गंगवार का टिकट कटने के बाद भाजपा में सन्नाटा, नए प्रत्याशी को लेकर सोशल मीडिया पर खास चर्चा नहीं

बरेली: संतोष गंगवार का टिकट कटने के बाद भाजपा में सन्नाटा, नए प्रत्याशी को लेकर सोशल मीडिया पर खास चर्चा नहीं

बरेली, अमृत विचार: लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में बदलाव के जिस तूफान के पहले से कयास लगाए जा रहे थे, उसके आकर गुजरने के बाद पार्टी में अब सन्नाटे जैसा माहौल है। आठ बार के सांसद संतोष गंगवार का टिकट काटकर बहेड़ी के पूर्व विधायक छत्रपाल सिंह गंगवार बरेली सीट पर प्रत्याशी घोषित किए जा चुके हैं लेकिन इस बड़े बदलाव पर सोशल मीडिया में कोई खास हलचल नहीं है। थोड़ी-बहुत जो प्रतिक्रियाएं हैं भी, वह सिर्फ संतोष गंगवार के व्यक्तित्व और व्यवहार पर की जा रही हैं। छत्रपाल सिंह के बारे में कोई भी कुछ कहने से फिलहाल बच रहा है।

बरेली में संतोष गंगवार और पीलीभीत में वरुण गांधी का टिकट कटने के बाद मंडल में भाजपा का चुनावी परिदृश्य काफी कुछ बदल गया है। वैसे बदायूं की सांसद संघमित्रा का भी टिकट कटा है लेकिन बदायूं में न इसकी कोई खास प्रतिक्रिया है, न वहां भाजपा के प्रदर्शन पर इसका कोई खास असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। 

संघमित्रा की ओर से टिकट के लिए कोई खास जोर भी नहीं लगाया जा रहा था लेकिन संतोष गंगवार और वरुण गांधी की ओर से अंतिम समय तक अपनी कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इन दोनों टिकट पर हाईकमान में भी काफी माथापच्ची हुई और इसका अंत इस सवाल पर पहुंचकर हुआ कि पार्टी बड़ी है या प्रत्याशी। इसी के बाद नेतृत्व ने पार्टी को संतोष और वरुण के व्यक्तित्व से ऊपर रखने का निर्णय किया और दोनों सीटों पर उनकी जगह दूसरे प्रत्याशी खड़े कर दिए।

अब पार्टी में भी माना जा रहा है कि पीलीभीत और बरेली दोनों सीट पर नए प्रत्याशियों को जिताने की चुनौती कुछ ज्यादा कड़ी साबित होगी। पीलीभीत में इसकी शुरुआत भाजपा नेता और पूर्व मंत्री हेमराज वर्मा के भाई की ओर से नामांकन पत्र खरीदे जाने से हो चुकी है।

बताया जा रहा है कि वरुण का टिकट कटने की स्थिति में हेमराज ने टिकट पर दावा किया था। अब जितिन प्रसाद को टिकट दिए जाने से नाराज हैं। बरेली में इस तरह की बगावत की कोई स्थिति फिलहाल नहीं है लेकिन यह तय माना जा रहा है कि छत्रपाल सिंह को थोड़े ही वक्त में पार्टी कार्यकर्ताओं में संतोष गंगवार जैसी पैठ बनाने में काफी मशक्कत करनी होगी।

...तो संतोष का दावा अंतिम समय में हुआ खारिज
लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले संतोष गंगवार ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में जनसंपर्क शुरू कर दिया था। पार्टी की पहली सूची में उन्हें रोककर सिर्फ आंवला से धर्मेंद्र कश्यप को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद उन्होंने दिल्ली का रुख किया। इसके बाद रविवार को पांचवीं सूची जारी होने तक दिल्ली में ही डेरा जमाए रखा। छत्रपाल का नाम इससे पहले चर्चा में तक नहीं था।

इससे साफ हो गया कि पार्टी ने सूची जारी करने से ऐन पहले संतोष का दावा अंतिम रूप से खारिज किया। यह भी कहा जा रहा है कि अगर संतोष का टिकट काटकर पहले ही छत्रपाल को प्रत्याशी बनाए जाने का निर्णय हुआ होता तो पार्टी ने उन्हें पहले ही सक्रिय कर दिया होता। छत्रपाल के बजाय मेयर उमेश गौतम का नाम चर्चा में था लेकिन माना जा रहा है कि जातिगत समीकरण के हिसाब से उनका दावा पुख्ता नहीं माना गया।

अब नया सवाल चर्चा में... क्या इंडिया बदलेगी रणनीति
वैसे तो शाहजहांपुर को छोड़कर समाजवादी पार्टी मंडल की बाकी चारों सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है लेकिन भाजपा की ओर से तीन सांसदों के टिकट काटे जाने के बाद यह सवाल चर्चा में है कि क्या सपा अपनी रणनीति में कोई बदलाव करेगी।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन के वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल होने का ऑफर दिए जाने वरुण के आईटी प्रभारी की ओर से कार्यकर्ताओं के लिए जारी किए गए इस संदेश के बाद यह चर्चा और जोर पकड़ गई कि अगले कार्यक्रम की जानकारी जल्द ही साझा की जाएगी। हालांकि पीलीभीत में मंगलवार को सपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार की ओर से नामांकन दाखिल कर दिया गया।

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