Loksabha Chunav 2024: लोकसभा सीट पर प्रत्याशी को लेकर असमंजस; कानपुर में इस वजह से रुकी आलोक मिश्रा के नाम की घोषणा
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कानपुर, अमृत विचार। कांग्रेस ने कानपुर लोकसभा सीट पर आलोक मिश्रा का नाम फाइनल करने के बाद भी शुक्रवार देर रात तक उनकी प्रत्याशिता की आधिकारिक घोषणा नहीं की। इसे लेकर कयासों का बाजार गर्म हो गया। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार कद्दावर नेता अजय कपूर के अचानक भाजपा में शामिल होने से अवाक पार्टी ने आनन-फानन एक आंतरिक सर्वे कराया है, इसकी रिपोर्ट के कारण ही प्रियंका गांधी के संकेत पर नाम का ऐलान रुक गया है।
हालांकि अजय कपूर के कांग्रेस छोड़ने से प्रदेश इकाई द्वारा भेजे गए पैनल में दूसरे नंबर पर शामिल आलोक मिश्रा स्वाभाविक रूप से कानपुर सीट पर प्रत्याशी हो गए है। उधर, भाजपा ने भी उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों के साथ कानपुर में प्रत्याशी के नाम की घोषणा को होल्ड कर रखा है। इन परिस्थितियों के चलते माना जा रहा है कि कानपुर सीट पर इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प हो सकती है।
कानपुर लोकसभा सीट पर वर्ष 1991 से मुख्य संघर्ष भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता आय़ा है। दोनों दलों ने 1991 से 2009 के बीच बारी-बारी से जीत की हैट्रिक लगाई थी। लेकिन 2014 में मोदी लहर फिर 2019 के चुनाव में भाजपा ने बड़े अंतर से जीत हासिल करके अपनी बढ़त साफ बना ली है।
ऐसे में इस बार सपा का साथ मिलने से उत्साहित कांग्रेस ब्राह्मण, मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं के बूते भाजपा से सीट वापस छीनने में कोई कोर कसर नहीं बाकी रखना चाहती है। पार्टी को उत्तर प्रदेश में जिन दो-चार सीटों पर जीत की संभावना नजर आ रही है, उनमें कानपुर प्रमुख है। इसी कारण अजय कपूर के इस्तीफे के बाद मुश्किल से उबरने के लिए गुपचुप तरीके से फौरी सर्वे कराया गया है।
उधर, भाजपा भी मिशन -80 का लक्ष्य पाने के लिए बची सीटों पर प्रत्याशी चयन को लेकर गहन मंथन कर रही है। पार्टी को प्रदेश में जिन सीटों पर आसान जीत नजर आ रही है, उन पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में भाजपा ने अकेले कानपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी तय नहीं किया है।
दावेदार लगातार दिल्ली में डेरा डाले हैं। माना जा रहा है कि 2019 में डॉ. मुरली मनोहर जोशी का टिकट काटने और महापौर चुनाव में अंतिम समय में प्रमिला पांडेय को रिपीट करने की ही तरह भाजपा कोई चौंकाने वाला फैसला ले सकती है।