पीलीभीत: जानिए कौन सी बीमारी की चपेट में आए दुधारू पशु, दूध देना भी कर रहे बंद

पीलीभीत: जानिए कौन सी बीमारी की चपेट में आए दुधारू पशु, दूध देना भी कर रहे बंद

पीलीभीत, अमृत विचार: बदलते मौसम का कुप्रभाव सिर्फ जनमानस ही नहीं, बल्कि पशुओं को भी प्रभावित कर रहा है। शहर की डेयरियों में इन दिनों पशुओं पर आफत आई हुई है। कई पशु खुरपका-मुंहपका रोग की चपेट में आ चुके हैं। डेयरी संचालकों की मानें तो पशुओं में यह रोग तेजी से फैल रहा है। बीमारी पशुओं ने दूध देना भी बंद कर दिया है। पशु पालन विभाग द्वारा समय से वैक्सीनेशन न कराए जाने से पशुओें का इलाज प्राइवेट पशु चिकित्सकों से कराना पड़ रहा है।

शहर में करीब 125 से अधिक डेयरियां हैं। इन डेयरियों में 15 से 50  दुधारू पशु पाले जा रहे हैं। बड़ी संख्या में लोगों को इनसे न सिर्फ रोजगार मिल रहा है, बल्कि बड़ी आबादी को दूध की आपूर्ति भी होती है। पिछले करीब 20-25 दिनों से डेयरियों में पाले जाने वाले दुधारू पशुओं में तेजी से खुरपका और मुंहपका रोग फैल रहा है।

डेयरी संचालकों की मानें तो सैकड़ों पशु इस बीमारी की चपेट में है। पशुओं खुर और मुंह पक गए हैं, जिनमें मवाद निकल रहा है। शहर के मोहल्ला आसफजान के डेयरी संचालक सुभाष ने बताया कि डेयरी में 25 पशु पाले जा रहे हैं। इनमें सात दिन के भीतर तीन पशु खुरपका-मुंहपका रोग की चपेट में आ चुके हैं।

बीमारी के चलते इन पशुओं ने दूध देना भी बंद कर दिया है। इसी मोहल्ले के डेयरी संचालक मदन सिंह ने बताया कि उनकी दो गाय और दो भैंस रोग की चपेट में हैं। तीन-चार दिन पहले से ही इन सभी पशुओं ने दूध देना बंद कर दिया है। डेयरी संचालक सुरेंद्र पाल सिंह तो इन दिनों काफी मुश्किलों से घिरे हैं।

उनके मुताबिक डेयरी के 15 पशुओं में 10 पशु खुरपका-मुंहपका रोग से ग्रस्त हैं। अधिकांश पशुओं ने दूध देना बंद कर दिया है। शहर के मोहल्ला नखासा निवासी डेयरी संचालक सोनू ने बताया कि डेयरी के पांच पशु खुरपका-मुंहपका रोग की चपेट में आए थे। विभाग द्वारा कोई वैक्सीनेशन न होने से सभी पशुओं का इलाज प्राइवेट पशु चिकित्सकों से कराना पड़ा।

दो तरफा मार झेल रहे डेयरी संचालक
शहर की डेयरियों में फैले खुरपका-मुंहपका रोग से सैकड़ों पशु इसकी चपेट हैं। ऐसे में इन डेयरी संचालकों को खासा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन डेयरी संचालकों का आरोप है कि विभाग द्वारा समय से वैक्सीनेशन न शुरू कराए जाने से यह रोग तेजी से फैल रहा है। डेयरी संचालकों को इन दिनों दोतरफा मार झेलनी पड़ रही है। एक तो पशुओं के दूध न देने से दूध बिक्री कम हो रही है। वहीं इन बीमार पशुओं का इलाज प्राइवेट पशु चिकित्सकों से महंगे दामों पर कराना पड़ रहा है।

यह है रोग के लक्षण
- पशु के मुंह से से अत्यधिक लार का टपकना
- जीभ और तलवे पर छालों का उभरना एवं जीभ का बाहर आ जाना
-  मुंह व खुरों में घाव होना और उनसे मवाद बहना
- पशु के जुगाली करना बंद कर देना
- दूध उत्पादन में करीब 80 प्रतिशत की कमी

आवरा पशुओं पर नहीं ध्यान, उनमें भी कई बीमार
संचालकों के सामने आने पर डेयरी के पशुओं की समस्या तो उजागर हो गई है। मगर यह रोग सड़कों पर घूम रहे पशुओं को भी चपेट में ले चुका है। इसकी रोकथाम के लिए शुक्रवार से टीकाकरण अभियान शुरू तो कर दिया गया है, लेकिन इससे पहले ही बड़ी संख्या में पशु बीमार भी हो चुके हैं।  सड़कों पर घूम रहे पशुओं में भी कई इसकी चपेट में आ चुके हैं।  

पशुओं को खुरपका-मुंहपका रोग से बचाव को टीकाकरण अभियान शुक्रवार से शुरू कर दिया गया है। सभी पशु पालकों से संपर्क किया जा रहा है। जल्द ही टीमों को भेजकर वैक्सीनेशन कराया जाएगा--- डॉ. अरविंद कुमार, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी।

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