हल्द्वानी: बनभूलपुरा के लोगों ने आंसुओं के साथ बताए वृंदा करात और बीजू कृष्णन को हाल...

हल्द्वानी, अमृत विचार। भाकपा (मार्क्सवादी) की पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात और केंद्रीय कमेटी सदस्य बीजू कृष्णन समेत अन्य लोगों ने बनभूलपुरा बवाल के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों से बातचीत की। मृतकों के परिजनों ने अपनी बात उनके सामने रखी।
गफूर बस्ती स्थित सिम्मी ने बताया कि आठ फरवरी की शाम उनके पति मो. इसरार (50) बवाल के दौरान घर में नाती के लिए गाय का दूध लेने जा रहे थे। उसी दौरान उनको गोली मार दी गई। यही नहीं सिम्मी के दामाद की भी मौत गोलाबारी में हो गई। एक ही साथ परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया।
बताया कि घर में अब कमाने वाला भी कोई नहीं है। लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई छुड़ा दी थी। दामाद कबाड़ी की फेरी लगाता था और सिमी के पति रेता-बजरी बेचने का काम करते थे। सिम्मी अपना गम बताते हुए रो पड़ी तो वृंदा करात ने उसे ढांढस बंधाया। मलिक का बगीचा के पास एक मृतक के घर में केवल एक महिला मौजूद थी, जिसने मिलने से मना कर दिया। अन्य मृतकों के घरों पर भी वृंदा करात और अन्य लोग पहुंचे।
साथ ही उन्होंने उन घरों का भी दौरा किया जहां आगजनी हुई थी। इधर मलिक का बगीचा में उन्होंने ढहाए गए स्थल का भी दौरा किया। इस दौरान पुलिस की हिरासत में लिए गए परिवार की भी कुछ महिलाओं ने उनके सामने अपनी बात रखी और कहा कि उनके घर के पुरुषों को बेवजह फंसाया गया है। पुलिस ने कहा कि गिरफ्तारियां और मुकदमे वीडियो साक्ष्य के आधार पर ही की गईं हैं।
महिला पुलिस कर्मियों से नहीं मिल पाईं
हल्द्वानी। वृंदा करात ने बवाल के दौरान घायल हुए पत्रकारों से भी बात की। पत्रकारों ने उन्हें अपनी आपबीती बताई। साथ ही उन्होंने हिंसा के दौरान घायल महिला पुलिसकर्मियों से भी मिलने के लिए कहा लेकिन पुलिस ने बताया कि इतनी जल्दी सभी महिला पुलिसकर्मियों को एक जगह बुलाना संभव नहीं है क्योंकि आठ फरवरी को विभिन्न थानों की पुलिस यहां ड्यूटी पर थी। वृंदा करात ने स्पष्ट कहा है कि यह सच है कि हिंसा में कई पक्ष के लोग शिकार हुए हैं। साथ ही जहां तक मैंने महसूस किया है शहर में सांप्रदायिक माहौल नहीं है।
बनभूलपुरा थानाध्यक्ष की सराहना की
हल्द्वानी। वृंदा करात ने बनभूलपुरा थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी की सराहना की। कहा कि उन्हें खुद अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं ने बताया है कि पुलिस ने घरों में आगजनी के दौरान उन्हें बचाया है। साथ ही नीरज भाकुनी ने उन्हें बताया कि नमाज स्थल और मदरसा ढहाए जाने से पहले ही सभी धार्मिक पुस्तकों को हटा दिया गया था। पुस्तकें जहां रखी हुईं हैं उस घर के स्वामी का वीडियो भी दिखाया।