लखनऊ: अब सिलकॉन से बनेगी कृत्रिम आंख, नहीं घटेगी चेहरे की सुंदरता, बढ़ेगा आत्म विश्वास

लखनऊ: अब सिलकॉन से बनेगी कृत्रिम आंख, नहीं घटेगी चेहरे की सुंदरता, बढ़ेगा आत्म विश्वास

लखनऊ। रेटिनोब्लास्टोमा जैसे गंभीर कैंसर से जूझ रहे लोग जो अक्सर सर्जरी के दौरान अपनी आंख की आसपास की सुंदरता को खो देते हैं। कई बार मरीज की आईब्रो या आस-पास की स्किन हटानी पड़ जाती है जो व्यक्ति को कुरूप बना देती है।

यह जानकारी केजीएमयू के प्रोस्थोडॉन्टिस विभाग के संकाय सदस्य प्रो. कमलेश्वर सिंह ने साझा की। वह कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अब केजीएमयू में ऐसे मरीजों के लिए सिलिकॉन का उपयोग कर कृत्रिम आंख व उसके अंग बनाने की तैयारी में है। यह ऑर्बिटल प्रोस्थेसिस की मदद से संभव हो सकेगा । यह व्यक्ति की सुंदरता के साथ उसके खोए हुए आत्मविश्वास को वापस लाने की एक आशा की किरण है।

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को केजीएमयू के डेंटल विभाग में बैंकॉक, थाईलैंड यूनिवर्सिटी महिदोल के सहयोग से मैक्सिलोफेशियल प्रोस्थॉन्टिक्स पर अर्तराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस दो दिवसीय कार्यशाला में इंटरनेशल स्टूडेंट्स, संकाय सदस्यों, सेना कर्मियों और निजी अस्पतालों के करीब 100 से अधिक डॉक्टर भाग ले रहे हैं। कार्यशाला का फोकस कृत्रिम अंग के निर्माण में बुनियादी बातों और प्रगति दोनों पर था, जो उन मरीजों के लिए पुनर्निर्माण सर्जरी का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो आंखें हटाने की प्रक्रिया से गुजर चुके हैं।

इस दौरान बैंकॉक, थाईलैंड से आए मैक्सिलोफेशियल प्रोस्थोडॉन्टिक्स के क्षेत्र के बारह प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने व्याख्यान और व्यावहारिक कार्यशालाओं के माध्यम से अपने ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा किया। इन विशेषज्ञों ने कृत्रिम अंग बनाने की जटिल प्रक्रिया में कीमती राय साझा की, जिससे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार करने को लेकर है।

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