नीतीश कटारा हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव की अंतरिम जमानत अर्जी पर यूपी सरकार से जवाब मांगा

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Published By Vishal Singh
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2002 के चर्चित नीतीश कटारा हत्या मामले में 25 साल के कारावास की सजा काट कर रहे विकास यादव की अंतरिम जमानत याचिका पर बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया। यादव ने याचिका में अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए यह रियायत देने का अनुरोध किया है।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने कहा कि इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार गाजियाबाद स्थित यशोदा अस्पताल में भर्ती यादव की मां की स्थिति की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित कर सकती है। शीर्ष अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 15 अप्रैल तय करते हुए कहा, ‘‘मेडिकल बोर्ड उक्त अस्पताल के चिकित्सकों से भी परामर्श करेगा और रिकॉर्ड का अवलोकन करेगा।’’

यादव के वकील ने चिकित्सा दस्तावेज अदालत के समक्ष रखते हुए दलील दी कि यादव की मां की हालत फरवरी में खराब हो गई थी। उन्होंने बताया कि मां गहन चिकित्सा इकाई में है और उसने सर्जरी से इनकार कर दिया है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि यादव की मां अस्पताल में है और मेडिकल बोर्ड द्वारा उनकी जांच की जा सकती है।

कटारा की मां और शिकायकर्ता नीलम कटारा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने यादव के आचरण पर सवाल उठाया और कहा कि वह चिकित्सा आधार पर 98 बार एम्स जा चुका है। अदालत ने हालांकि, रेखांकित किया कि याचिकाकर्ता ने पर्याप्त सजा काट ली है। यादव ने अंतरिम जमानत के लिए दाखिल अर्जी में कहा कि उसकी मां उमेश यादव गंभीर रूप से बीमार हैं और उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है।

याचिका में कहा गया कि इलाज कर रहे चिकित्सकों ने उनकी हालत को देखते हुए तत्काल सर्जरी कराने की सलाह दी है। इसमें कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता की मां की गंभीर स्थिति के कारण उसकी सहायता और उपस्थिति आवश्यक है।’’ उच्चतम न्यायालय ने तीन अक्टूबर 2016 को बिना किसी छूट का लाभ दिए यादव को सजा सुनाई थी। वह उत्तर प्रदेश के नेता डी पी यादव का बेटा है। उसके चचेरे भाई विशाल यादव को भी कटारा के अपहरण और हत्या के मामले में सजा सुनाई गई थी। दोनों लोग विकास की बहन भारती यादव के साथ कटारा के कथित प्रेम संबंध के खिलाफ थे, क्योंकि वे अलग-अलग जातियों से थे। मामले में एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई थी।

इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने विकास और विशाल यादव को निचली अदालत द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखते हुए दोनों को बिना किसी छूट के 30 वर्ष की सजा सुनाई थी। दिल्ली जेल प्रशासन ने पिछले साल यादव के आचरण को ‘‘असंतोषजनक’’ पाए जाने के बाद उसकी छूट की अर्जी खारिज कर दी थी।

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