प्रयागराज: न्यायाधीश यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण को रोकने की मांग में याचिका दाखिल
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश यशवंत वर्मा को पद की शपथ दिलाने से रोकने का निर्देश देने की मांग के साथ एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। अधिवक्ता विकास चतुर्वेदी द्वारा दाखिल जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण और प्रस्तावित शपथ ग्रहण संविधान का उल्लंघन है, क्योंकि भारत के मुख्य न्यायाधीश के निर्देशानुसार न्यायाधीश वर्मा को कोई भी न्यायिक कार्य न देने के लिए कहा गया है। ऐसे में जब न्यायाधीश को कोई कार्य आवंटित नहीं किया जाना है, तो फिर उन्हें हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा किस कार्य की शपथ दिलाई जाएगी।
याचिका में यह भी कहा गया है कि एक न्यायाधीश अपने पद के कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करने की शपथ लेता है और शपथ ग्रहण के बाद अगर न्यायमूर्ति वर्मा को न्यायिक कार्य आवंटित नहीं किया जाता है, तो यह संवैधानिक पवित्रता को कमजोर करता है और यह प्रक्रिया महज औपचारिकता बनकर रह जाती है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि न्यायमूर्ति वर्मा के मामले में तीन सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश असंवैधानिक और अवैध है, क्योंकि ऐसी समिति का गठन तभी किया जाना चाहिए, जब आवश्यक संख्या में सांसदों द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को अध्यक्ष या सभापति द्वारा स्वीकार कर लिया जाए। इसके साथ ही याचिका में न्यायमूर्ति वर्मा के स्थानांतरण संबंधी केंद्रीय विधि मंत्रालय की अधिसूचना को भी रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
मालूम हो कि 28 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और आपराधिक जांच शुरू करने की मांग वाली याचिका को आंतरिक जांच की रिपोर्ट लंबित होने के आधार पर खारिज कर दिया था। बता दें कि न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवासीय परिसर से अवैध नकदी मिलने के बाद उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिसके कारण उनका दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण कर दिया गया।
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