हाईकोर्ट ने गिरते नैतिक मूल्यों पर जताई चिंता, कहा- धन लोलुपता नष्ट कर रही सामाजिक-पारिवारिक सम्बन्ध

हाईकोर्ट ने गिरते नैतिक मूल्यों पर जताई चिंता, कहा- धन लोलुपता नष्ट कर रही सामाजिक-पारिवारिक सम्बन्ध

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद के एक मामले में बिगड़ते सामाजिक संबंधों और गिरते नैतिक मूल्यों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लालच के कारण पारिवारिक और सामाजिक रिश्ते तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। धन लोलुपता न केवल सामाजिक संघर्ष उत्पन्न कर रही है बल्कि रक्त संबंधों को भी नुकसान पहुंचा रही है। जब कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को 'उसकी' बताते हुए दस्तावेज निष्पादित करता है तो इसमें दो संभावनाएं होती हैं।

पहली कि वह प्रामाणिक रूप से संपत्ति को वास्तव में उसकी मानता है। दूसरी कि वह बेईमानी और धोखे से संपत्ति पर अपना दावा बता रहा है। दोनों ही दशाओं में मुद्दा संपत्ति का है जो व्यक्ति को कपट और संघर्ष करने के लिए प्रेरित करती है। 

उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकलपीठ ने 74 वर्षीय वृद्ध महिला श्रीमती विनीता मेहरोत्रा की अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए की।

मामले के अनुसार शिकायतकर्ता राकेश शर्मा ने थाना कोतवाली शहर, बिजनौर में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करके याची पर आरोप लगाया था कि उन्होंने भू माफियाओं मोहम्मद तालिब और शंकर लाल के साथ मिलकर उसकी जमीन के कुछ हिस्सों के 10 विक्रय पत्र निष्पादित किए थे जबकि याची का भूमि पर कोई स्वामित्व नहीं था।

उक्त विक्रय पत्र 3 करोड़ 25 लाख रुपए के मूल्य पर निष्पादित किए गए थे जबकि बाजार में भूमि का वास्तविक मूल्य विक्रय विलेख में दिखाई गई राशि से कहीं अधिक है।

यह भी पढ़ें: पुलिस विभाग में तबादलों का दौर जारी, 6 आईपीएस अफसरों का हुआ स्थानांतरण