Kanpur: महिला का ब्लड ग्रुप निगेटिव व पति का पॉजिटिव हो तो रहें सावधान, बच्चे की जान को हो सकता है खतरा...करें ये काम...

गर्भस्थ शिशु को बचाने के लिए एंटी-डी इंजेक्शन जरूरी

Kanpur: महिला का ब्लड ग्रुप निगेटिव व पति का पॉजिटिव हो तो रहें सावधान, बच्चे की जान को हो सकता है खतरा...करें ये काम...

कानपुर, अमृत विचार। जिन महिलाओं का ब्लड ग्रुप निगेटिव होता है और उनके पति का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव हो तो ऐसे में बच्चे की जान को खतरा रहता है। यह खतरा पहले बच्चे में बहुत कम, लेकिन दूसरे व तीसरे बच्चे में अधिक होता है, जिसकी मुख्य वजह एंटी-डी इंजेक्शन न लगवाना है। गर्भ में शिशु को बचाने और रक्तस्राव को रोकने में भी यह इंजेक्शन काफी कारगर है। 

हैलट व डफरिन अस्पताल में प्रतिदिन 20 से 25 प्रसव कराए जाते हैं। जबकि कुछ ऐसी महिलाएं भी इलाज को पहुंचती हैं, जिनके बच्चे गर्भ में खत्म हो जाते है या समय से पहले प्रसव, प्रसव के बाद बच्चे को पीलिया आदि की समस्या हो जाती है। 

इसलिए अस्पताल में मां को 28वें सप्ताह में एंटी-डी इंजेक्शन लगाने की सलाह डॉक्टरों द्वारा दी जाती है, लेकिन डॉक्टरों द्वारा दी गई इस सलाह को कई बार गर्भवती गंभीरता से नहीं लेती है और जिसके बाद उनको भयंकर परिणाम तक भुगतने पड़ जाते है और वह मां बनने के सुख से वंचित रह जाती है।

यह समस्या उन महिलाओं में अधिक आती है, जिनका ब्लड ग्रुप निगेटिव और पति का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव होता है। दंपति के साथ ऐसा वाक्या दूसरे व तीसरे बच्चे के जन्म के वक्त होने की संभावना अधिक रहती है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. नीना गुप्ता ने बताया कि प्रसव के समय होने वाले रक्तस्राव को रोकने में इंजेक्शन कारगर है। 

जिन महिलाओं का ब्लड ग्रुप निगेटिव और पति का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव हो तो ऐसे में बच्चे को खतरा रहता है। क्योंकि पहले गर्भावस्था में प्लासेंटा से होकर खून मां में जाता है। इसके चलते गर्भवती के खून में एंटीबॉडी बनने लगती हैं। यह एंटीबॉडी पहले गर्भावस्था में बच्चे को नुकसान नहीं करती, जबकि दूसरे गर्भावस्था में गर्भवती के खून में पहले से मौजूद एंटीबॉडी गर्भ में पल रहे बच्चे के खून में जाकर सेल को नुकसान करने लगते हैं। इसलिए निगेटिव मां को 28वें सप्ताह में एंटी-डी इंजेक्शन लगना जरूरी होता है। 

इंजेक्शन न लगने से भविष्य में भी हो सकती दिक्कत 

आईएसओपीएआरबी सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ.नीलम मिश्रा ने बताया कि देश में प्रसव के बाद 36 से 56 प्रतिशत मृत्यु प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्राव के बाद होती है। इसलिए डॉक्टरों को प्रसव से पहले मरीज का आकलन करना चाहिए। गर्भपात या रक्तस्राव होने पर भी एंटी-डी का इंजेक्शन लगना जरूरी होता है। 

जीएसवीएम कॉलेज में स्त्री एवं प्रसूति विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.किरन पांडेय ने बताया कि इंजेक्शन न लगवाने से भविष्य में गर्भपात, समय से पहले प्रसव, शिशु को पीलिया, हाईड्रॉप और गर्भ में ही शिशु की मृत्यु होने की पूरी संभावना रहती है। 

वहीं, नए दौर में नया रिकोम्बिनेट एंटी-डी इंजेक्शन गर्भावस्था व प्रसव के बाद लगाने से ये संभावनाएं कम हो जाती हैं। इसके प्रभाव से बचाने के लिए निगेटिव ब्लड ग्रुप की गर्भवती महिलाओं को एंटी-डी इंजेक्शन जरूरी है।

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