हल्द्वानी: फरीदाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था बनभूलपुरा दंगे का मास्टर माइंड अब्दुल मलिक, भाजपा में भी बताई जाती है पहुंच

वर्ष 2004 में लड़ा था चुनाव हालांकि हुई थी शिकस्त, वर्ष 1988-89 में हल्द्वानी नगर पालिका के चेयरमैन के चुनाव में भी मिली थी हार

हल्द्वानी: फरीदाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था बनभूलपुरा दंगे का मास्टर माइंड अब्दुल मलिक, भाजपा में भी बताई जाती है पहुंच

 हल्द्वानी, अमृत विचार। अब्दुल मलिक …अब्दुल्ला बिल्डिंग वाला का नाम बीती 9 फरवरी को बनभूलुपरा में हुए दंगे के बाद सबकी जुबान पर है। पुलिस का दावा है कि अब्दुल मलिक दंगे का मास्टर माइंड है। अब्दुल मलिक का  वैसे तो कोई गंभीर आपराधिक इतिहास नहीं है, लेकिन इनके मलिक का बगीचा की आग ने पूरे हल्द्वानी को दंगे की आग में झोंक दिया। 

हल्द्वानी में बरेली रोड पर अब्दुल्ला बिल्डिंग है। यह बिल्डिंग सिर्फ बरेली रोड की ही लैंडमार्क नहीं, बल्कि एक प्रतिष्ठित परिवार की भी शान की पहचान है। यह बिल्डिंग अब्दुल्ला साहब के नाम से ही जानी जाती है। अब्दुल्ला साहब नगर पालिका के चेयरमैन के साथ ही शहर के मोअज्जिज व्यक्तियों में से एक थे।

उनके एक भाई अब्दुल रज्जाक थे। उनके पांच बेटों में से एक अब्दुल मलिक है। पारिवारिक रसूख व बेहिसाब दौलत का अब्दुल मलिक का हमेशा फायदा मिला। इसी रसूख के चलते मलिक 1988-89 में नगर पालिका के चेयरमैन के लिए चुनाव लड़ा लेकिन हार गया। इसी चुनाव में पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्व. इंदिरा हृदयेश के पति हृदयेश  भी मुकाबले में थे, लेकिन वह भी हार गए थे।

नवीन तिवारी ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद मलिक ठेकेदारी में उतरा। वह रेलवे समेत कई सरकारी महकमो का ए श्रेणी का ठेकेदार है लेकिन उसकी राजनैतिक आकांक्षाएं कम नहीं हुई। हल्द्वानी में राजनैतिक जड़ें जमती नहीं देख मलिक ने बसपा के हाथी की सवारी के लिए अपनी राजनैतिक जमीन बदल दी। वह वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा के फरीदाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ा। उसे 71,459 वोट मिले और वह हार गया।

भाजपा में भी बताई जाती है पहुंच

शहर के पुराने जानकारों का मानना है कि मलिक की सिर्फ कांग्रेस, बसपा में ही नहीं बल्कि भाजपा के राष्ट्रीय व प्रादेशिक नेतृत्व में भी जबरदस्त पकड़ है। राष्ट्रीय स्तर के एक वरिष्ठ नेता जब हल्द्वानी आए तो मलिक के घर पर ठहरे। इतना ही नहीं इन नेता के परिजन भी यहां ठहरते हैं। बताया जाता है कि दिल्ली में भाजपा मुख्यालय तक पकड़ बताई जाती है। 

कंपनी बाग बन गया मलिक का बगीचा 
राजनैतिक हार के बाद अब्दुल मलिक फिर से उत्तराखंड में सक्रिय हो गया। इसके बाद वह फिर से उत्तराखंड लौट आया और यहां अपना ठेकेदारी व अन्य कारोबार बढ़ाता गया। इसी कारोबार और पारिवारिक रसूख की आड़ में बढ़ता गया, लेकिन इसी के साथ लालच बढ़ता गया। जिस परिवार की प्रतिष्ठा की वजह से कंपनी बाग मिला था, मलिक की नजर उस सरकारी भूमि पर पड़ी।

बगीचे की भूमि में प्लॉटिंग करना शुरू कर दिया। छोटे-छोटे प्लॉट को 50 रुपये के स्टांप पर लाखों रुपये में बेचा जाने लगा। इस तरह कंपनी बाग धीरे-धीरे मलिक का बगीचा बन गया। नगर निगम का दावा है कि कंपनी बाग की 2 एकड़ से अधिक भूमि का सौदा कर दिया गया। जब बची हुई 1 एकड़ भूमि को नगर निगम बचाने पहुंची तो मलिक ने धार्मिक भावनाएं भड़का कर दंगे की साजिश रच दी।

नाम का था मदरसा और मस्जिद 
मलिक का बगीचा में जो मदरसा व मस्जिद है, सिर्फ नाम की थी। बनभूलपुरा के ही कुछ बाशिंदों का कहना है कि यहां मलिक की धमक रहती थी। उसकी इजाजत के बिना कोई भूमिगत मस्जिद में नहीं जा सकता था। इबादत के लिए लोग अन्य मस्जिदों में जाते थे, यहां चैनल पर ताला लटका रहता था। बस इनकी आड़ में सरकारी जमीन कब्जाने की साजिश थी। 

नगर निगम के अभिलेखों में मलिक का बगीचा नाम से कोई स्थान दर्ज नहीं है। उक्त स्थान कंपनी बाग के नाम से जाना जाता है। बाग की 2 एकड़ से अधिक भूमि का सौदा कर दिया गया। सिर्फ 1 एकड़ भूमि ही बची है। जहां मदरसा व मस्जिद बनाया गया था उक्त भूमि भी 800 वर्ग मीटर थी।
= पंकज उपाध्याय,  नगर आयुक्त, नगर निगम हल्द्वानी