OMG: एक गांव ऐसा भी...जहां अंतिम संस्कार के लिए अर्थी को फांदनी पड़ती है दीवार
बामनेटा गांव में रास्ता संकरा होने से करना पड़ता है यह काम, जिला प्रशासन व रेलवे से शिकायत के बाद भी ग्रामीणों को नहीं मिली राहत
सुनील कुमार/बहजोई (संभल), अमृत विचार। जनपद में बहजोई के निकट एक गांव ऐसा है जहां अंतिम संस्कार के लिए अर्थी लेकर रेलवे की दीवार फांदकर अंत्येष्टि स्थल तक जाना पड़ता है। संकरा रास्ता होने के कारण अर्थी लेकर जाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
बहजोई विकासखंड के गांव बामनेटा में रेलवे ने अपनी जमीन बताते हुए गांव के रास्ते पर दीवार बना दी। दूसरी ओर कुछ ग्रामीणों ने ग्राम सभा की भूमि पर कब्जा करके घर बना लिए हैं। जिसके कारण गांव से बाहर निकलने वाला रास्ता बेहद संकरा हो गया है। रविवार को गांव के ही 50 वर्षीय मोहनलाल की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई। ग्रामीण रविवार को मोहनलाल के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे।
गली संकरी थी और अर्थी उसमें से निकल नहीं पा रही थी। ऐसे में ग्रामीण मजबूरी में अर्थी लेकर रेलवे द्वारा लगाई गई दीवार को फांद कर अंत्येष्टि स्थल पर पहुंचे। तब कहीं जाकर ग्रामीण का अंतिम संस्कार किया गया। ग्रामीणों ने रेलवे तथा जिला प्रशासन पर आरोप लगाया है। कि दोनों ने ही ग्रामीणों के साथ अन्याय किया है। रास्ते में इतनी जगह नहीं छोड़ी कि वह अर्थी को मुख्य रास्ते से ले जाएं। वह कई बार इसको लेकर रेलवे तथा जिला प्रशासन से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई भी फायदा नहीं मिला।
यह है मामला
बहजोई के गांव बमनेटा में के मुख्य रास्ते पर जब ग्रामीणों ने रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करना प्रारंभ किया तो रेलवे ने अपनी जमीन नाप कर ऊंची दीवार बना दी। तब उसे गाली के आगे के हिस्से में कुछ ग्रामीणों ने ग्राम सभा अपने मकान पहले से ही बना रखे थे। रेलवे की दीवार लगने के बाद वह रास्ता संकरा हो गया। पीछे रह रहे ग्रामीणों ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की कई बार राजस्व विभाग की टीम पुलिस बल के साथ गांव पहुंची लेकिन उन ग्राम सभा की जमीन पर बने घरों को नहीं हटा पाई।
बोले ग्रामीण
रेलवे द्वारा दीवार बनाने के बाद गांव का रास्ता संकरा हो गया। इसके बाद वही ग्राम समाज की भूमि पर कुछ लोगों ने घर बना लिए। इसकी शिकायत उन्होंने रेलवे तथा जिलाधिकारी से भी की लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो हम ग्रामीणों को रेलवे की दीवार फांद कर ही अर्थी को अंत्येष्टि स्थल तक ले जाना पड़ता है। -अखिलेश सिंह, ग्रामीण, बामनेटा।
हमारे गांव में रास्ता संकरा होने के बाद किसी भी बुजुर्ग की मौत हो जाती है तो रेलवे की दीवार फांद कर ही अंत्येष्टि स्थल पर अर्थी को ले जाना पड़ता है। इससे बहुत समस्या आ रही है। जिला प्रशासन से लेकर रेलवे से इसकी शिकायत कर चुके हैं। लेकिन इस समस्या का कोई भी समाधान नहीं हुआ। कई बार टीम में आई और देखकर चली गई।- राजवती, ग्रामीण, गांव बमनेटा।
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