तीन दशक तक ठिठकी सी रही अयोध्या अब है निहाल, लंबे समय तक रामकोट ने झेला वीरानी का दंश

मंदिर मस्जिद विवाद में दहशत में रहा पूरा इलाका, अब यहां आइये तो आंखें चौंधिया जाएंगी

तीन दशक तक ठिठकी सी रही अयोध्या अब है निहाल, लंबे समय तक रामकोट ने झेला वीरानी का दंश

इंदुभूषण पांडेय, अयोध्या। वर्ष 1986 से लेकर 2019 तक लगभग 33 साल अयोध्या में रामकोट रहा हो या फिर रामघाट तक का प्रमुख इलाका मंदिर-मस्जिद विवाद के नाते अयोध्या यहां ठिठकी सी रही। समय-समय पर इसने भारी सुरक्षा और वीरानी का दंश भी इस अवधि में झेला। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण शुरू हुआ और अब जब बीते 22 जनवरी को रामलला की नए भव्य गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा हुई तो राम भक्त निहाल और अयोध्या चहक रही है। अब चाहे रामकोट का इलाका हो या फिर अयोध्या के रामघाट का, यहां पहुंचिए तो आप पहचान नहीं पाएंगे कि यह वही 30 साल तक ठिठकी हुई अयोध्या है। आपकी आंखें चौंधिया जाएंगी। 

पहले कभी यहां थीं संकरी गलियां, आज हैं चौड़े रास्ते 

राम की नगरी का महत्वपूर्ण रामकोट क्षेत्र हो या रामघाट का इलाका अब गुलजार हो चुका है। राम मन्दिर जाने के लिए अब श्रद्धालु संकरी गलियों से नहीं बल्कि चौड़े-चौड़े मार्गों से जाने लगे हैं। इसके लिए रामपथ और धर्मपथ जैसे फोरलेन मार्ग बन चुके हैं। रामकोट क्षेत्र में दर्जनों ऐसे मंदिर थे, जो कभी वीरान जैसे थे, लेकिन अब वहां की आध्यात्मिक आभा श्रद्धालुओं को बरबस खींच लाती है। कभी रामकोट में भीड़ नियंत्रण मुश्किल होता था। रामकोट में रामजन्मभूमि, कनकभवन, हनुमानगढ़ी समेत अन्य पीठ है, जहां रोजाना हजारों श्रद्धालु आते हैं। अब रामकोट जाने के लिए चौड़े रास्ते हैं।

श्रृंगारहाट से रामजन्मभूमि तक 80 फीट चौड़ी सड़क का विकास भक्तिपथ के रूप में किया गया है। इस पर आधुनिक सुविधाएं भी विकसित की जा चुकी हैं। इसी अयोध्या का दूसरा इलाका रामघाट है। यहां भी अब चहल-पहल बढ़ गई है। राम मंदिर आंदोलन के शुरूआती दौर में ही इस रामघाट के इलाके में ही श्रीराम जन्मभूमि न्यास और विश्व हिंदू परिषद ने अपने पांव रखे थे। इसी रामघाट इलाके में राम मंदिर की पत्थर तराशी की दो कार्यशालाएं खोली गईं थीं और राम मंदिर आंदोलन की गतिविधियों का केंद्र कारसेवकपुरम बनाया गया।

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दर्शनार्थियों के बीच उत्सुकता का विषय बनीं रामनगरी

अब यह इलाका भी दर्शनार्थियों के लिए उत्सुकता का केंद्र बन गया है। राम जन्मभूमि न्यास की कार्यशाला में प्रस्तावित राम मंदिर के लिए लगभग सवा लाख घन फिट पत्थर तराश कर बड़े परिसर में रखे गए थे। इन पत्थरों को भी मंदिर निर्माण के समय लगाया गया। यहां भी दर्शनार्थियों का रेला उमड़ने लगा है। सरयू तट व अयोध्या की शोभा मानी जाने वाली राम की पैड़ी कभी गंदा नाला बनकर रह गई थी। आज स्थिति बदली है। राम की पैड़ी पर्यटन स्थल के रूप में निखर चुकी है। 450 मीटर लंबी राम की पैड़ी का अब विस्तार हो चुका हैं। नए घाट बन गए हैं। हजारों श्रद्धालु यहां पर्यटन का आनंद उठाने आते हैं। राम की पैड़ी का अविरल प्रवाह आकर्षित करता है।

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भवनों के एक ही तरह के मुखड़े भी कर रहे आकर्षित 

मुख्य मार्ग रामपथ पर कॉमन बिल्डिंग कोड लागू होने के बाद शहर की सुंदरता में चार चांद लग गए हैं। विकास प्राधिकरण की इस योजना के तहत सहादगतगंज से नए घाट तक 13 किमी रामपथ की सभी इमारतों का मुखड़ा एक रंग व एक स्वरूप में दिखने लगा है। भवनों के फसाड अयोध्या की आभा को और भी बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा रामायण कालीन कुंड भी अब पर्यटन का केंद्र बन चुके हैं। 10 से अधिक कुंडों का सौंदर्यीकरण कराया जा चुका है। सूर्यकुंड पर्यटन स्थल बन चुका है। गणेश कुंड का भी दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है।

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