रामपुर : रजा लाइब्रेरी में जिज्ञासु देखने पहुंच रहे ताड़ पत्र पर लिखी पांच सौ वर्ष पुरानी रामायण

रामायण के उर्दू, हिन्दी और अंग्रेजी में किए गए अनुवाद भी पढ़ रहे लोग, रामोत्सव पर रजा लाइब्रेरी में लगी प्रदर्शनी को देखने खूब पहुंच रहे छात्र-छात्राएं

रामपुर : रजा लाइब्रेरी में जिज्ञासु देखने पहुंच रहे ताड़ पत्र पर लिखी पांच सौ वर्ष पुरानी रामायण

सुहेल जैदी, रामपुर, अमृत विचार। रजा लाइब्रेरी एंड म्यूजियम में ताड़ पत्र पर लिखी सात रामायण हैं। इनमें एक पांच सौ वर्ष पुरानी रामायण है। रजा लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन डा. अबुसाद इस्लाही बताते हैं कि  एक औषधीय पांडुलिपि संस्कृत भाषा की ग्रंथ लिपि में लिखी हुई है। इसमें महाकाव्य रामायण को भी शामिल किया गया है। रामायण की प्रशंसा करते हुए इसे ब्रह्मवाचकम कहा गया है। पांच सौ वर्ष पुरानी भोज पत्र पर लिखी हुई रामायण लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुईं हैं। इसके अलावा पांच खंडों में अनुवादित अंग्रेजी की रामायण को लोग पढ़ रहे हैं। लंदन की टुबनर एंड कंपनी और मुंबई के भारतीय विद्या भवन द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी में रामायण नई पीढ़ी को पसंद आ रही है। 

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रजा लाइब्रेरी में 17000 से अधिक पांडुलिपियां हैं जिसमें ताड़ पत्र पर लिखी 204 पांडुलिपियां शामिल हैं। ताड़ पत्र पर लिखी गई पांडुलिपयां तेलगू, संस्कृत, कन्नड़, सिंगली व तमिल भाषा में हैं। रजा लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन बताते हैं कि ताड़पत्र पर लिखी सात रामायण हैं। इनमें एक पांच सौ साल पुरानी है। एक तमिल पांडुलिपि में मूर्तियों के निर्माण और पूजा पद्धति के बारे में जानकारी दी गई है। अन्य पांडुलिपियों में विभिन्न पौधों के औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दी गई है। एक औषधीय पांडुलिपि संस्कृत भाषा में है, जो ग्रंथ लिपि में लिखी गई है। एक पांडुलिपि कन्नड़ में संगीत के विषय पर आधारित है। एक अन्य पांडुलिपि पेरियाटिन बायेमोलि है, जो वैष्णवों का पवित्र ग्रंथ है।

प्रदर्शनी में वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास की रामचरितमानस के साथ फारसी, उर्दू में अनुवादित रामायण के संग्रह का प्रदर्शन किया गया है। पांडुलिपियों को लाल कपड़े में बांधकर रखा गया है क्योंकि लाल कपड़े में रखने से कीड़े, मकौड़े और फफूंदी नहीं लगती है। रामोत्सव के अवसर पर रजा लाइब्रेरी में  28 जनवरी तक के लिए प्रदर्शनी लगाई गई है। प्रदर्शनी को देखने के लिए छात्र-छात्राओं में गजब का क्रेज है। दूर-दराज से स्कूली बच्चों से भरी बसें बापू मॉल तक पहुंचती हैं। वहां से छात्र-छात्राएं करीब 800 कदम की दूरी पर स्थित रजा लाइब्रेरी में कतारबद्ध होकर पहुंचते हैं। इस दौरान पुलिस ट्रैफिक को कंट्रोल करती है।   

मुल्ला मसीह द्वारा अनुवादित रामायण भी कर रही ध्यान आकर्षित 
मुगल बादशाह जहांगीर के दौर में सन् 1627 में मुल्ला मसीह पानीपती द्वारा फारसी में अनुवादित 180 पृष्ठों की रामायण भी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है। इसके अलावा वर्ष 1915 में महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचयित रामायण का टीकाकार पंडित राजाराम द्वारा 931 पृष्ठों पर आधारित देवनागरी लिपि में अनुवाद लोग पढ़ रहे हैं। पंडित लक्ष्मी दत्त ने वर्ष 1902 में किया गया उर्दू अनुवाद भी आकर्षण का केंद्र है। उर्दू में अनुवादित इस रामायण को बांबे मशीन प्रेस लाहौर द्वारा प्रकाशित किया गया था। 

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किस्सा राम-सीता का भी लोगों का खींच रही ध्यान
वेंकटेश्वर स्टीम प्रेस बंबई अब मुंबई द्वारा वर्ष 1825 में अहमद खां गफलत द्वारा उर्दू भाषा में लिखित 97 पृष्ठ की इस पुस्तक में भी भगवान राम और माता सीता के प्रसंग को दर्शाती है। इस पुस्तक को उर्दू की नस्तालीक लिपि में लिखा गया है। 

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सांप्रदायिक सौहार्द की प्रतीक है रजा लाइब्रेरी की इमारत 
किला स्थित हामिद मंजिल का निर्माण 1892 में नवाब हामिद अली खां ने कराया था। इस इमारत की खासियत यह है कि  इसके स्तंभ में मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे की आकृति को समाहित किया गया है जोकि सांप्रदायिक सौहार्द की प्रतीक है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बाई पटेल लाइब्रेरी बोर्ड की अध्यक्ष हैं। रजा लाइब्रेरी का 250 वां जश्न मनाया जा रहा है। क्योंकि वर्ष 1774 में नवाब फैजुल्लाह खां ने लाइब्रेरी आईटीआई की इमारत में बनाई थी। जिसको आजादी के बाद हामिद मंजिल में शिफ्ट कर दिया गया और इसका नामकरण रजा लाइब्रेरी किया गया।  

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रजा लाइब्रेरी इल्मों-अदब का खजाना है यहां पर हर तरह के उलूम की और हर मौजूआत पर किताबें और पांडुलिपियां हैं। वर्ष 1714 में फारसी भाषा में सुमेरचंद द्वारा अनुवादित रामायण बहुत महत्वपूर्ण है। हिन्दू धर्म में किसी पुस्तक की शुरूआत श्री गणेशाय नम: से होती है। जबकि, एक हिन्दू ने फारसी में अनुवादित रामायण का आगाज बिस्मिल्ला हिर रहमा निर रहीम से होता है। रामायण को सोने के पानी से लिखा गया है इसमें 258 चित्र हैं। चित्रों के माध्यम  से भी रामायण को समझा जा सकता है। चित्रों में रावण के दस सिर बनाए गए हैं लेकिन, मुख्य सिर गधे का बनाया गया है। इसकी कॉपी अयोध्या भी भेजी गई है। इसके अलावा ताड़ पत्र लिखी हुई सात रामायण हैं इनमें एक 500 वर्ष पुरानी है। उर्दू, हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में अनुवादित रामायण भी हैं। - डॉ. अबुसाद इस्लाही, लाइब्रेरियन रजा लाइब्रेरी, पांडुलिपि इंचार्ज

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