Special Story : राम मंदिर आंदोलन में पूर्व मंत्री शिव बहादुर पर लगी थी रासुका

पूर्व मंत्री शिव बहादुर पर रासुका लगने पर कल्याण विधान सभा हुई थी स्थगित, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने शिव बहादुर को रिहा करने तक सदन नहीं चलने देने का दिया था अल्टीमेटम

Special Story : राम मंदिर आंदोलन में पूर्व मंत्री शिव बहादुर पर लगी थी रासुका

वर्ष 1998 में अयोध्या में टेंट में विराजे राम लला के दर्शन करने पहुंचे शिव बहादुर सक्सेना,(बीच में ) दायीं ओर खड़े हैं फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिंहा।

रामपुर, अमृत विचार। भाजपा के कद्दावर और हिंदुओं के फायर ब्रांड नेता पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना उर्फ शिब्बू भाई ने राम मंदिर के लिए किए गए अपने संघर्ष में बताया कि कैसे मुलायम सरकार के मंत्री आजम खान के इशारे पर उन पर रासुका लगाई गई थी। लखनऊ विधान सभा में कल्याण सिंह के सदन से वाकआउट करने के बाद रासुका हटी थी।

पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना बताते हैं कि 1989 में वह पहली बार विधायक बने। 24 अक्टूबर 1990 को रथ यात्रा जो आडवाणी जी लेकर आ रहे थे, उन्हें पटना में लालू यादव ने रोक दी थी। भाजपा नेतृत्व की कॉल आई कि हर जिले में सत्याग्रह किया जाए। इस दौर में राम मंदिर के लिए राम सेवक जी जान से लगे हुए थे। क्योंकि वह विधायक थे। लिहाजा 870 लोगों को लेकर जिला कचहरी में गिरफ्तारियां दीं। 20 बसों से सबको मुरादाबाद जेल भेज दिया। वहां जेल छोटी पड़ गई थी,तो टेंट लगा कर वहां रहे।

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14 दिनों के बाद उनके साथ आए बंदी बनाए राम सेवकों को रिहा कर दिया गया। जबकि उन्हें, बिलासपुर नगर पालिका चेयरमैन प्रमोद जौहरी,मंडी समिति चेयरमैन राजेश जौहरी शाहबाद के वेद प्रकाश शर्मा को रासुका में निरुद्ध कर दिया गया। 27 दिनों के बाद कल्याण सिंह को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने ये मामला विधान सभा में बड़े जोर- शोर से उठाया। कह दिया जब तक शिव बहादुर नहीं आयेगा विधान सभा नहीं चलेगी और इसके बाद हाउस स्थगित हो गया।

28 दिन बाद सुबह रामपुर से सिटी मजिस्ट्रेट और एडीएम उनकी रिहाई का परवाना लेकर मुरादाबाद पहुंचे और शिव बहादुर सक्सेना को रिहा किया गया। उस समय रामपुर में कर्फ्यू लगा था। उन्हें उनके घर नहीं आने दिया जा रहा था। ये सब आजम खान के दबाव में हो रहा था क्योंकि वह उस वक्त मंत्री थे।उनके इशारे  पर रासुका लगाई गई थी। बाद में जिला प्रशासन के हस्तक्षेप पर रामपुर अपने घर पहुंचे। लेकिन राम मंदिर का आंदोलन चलता रहा। वर्ष 1992 में वह अयोध्या प्रोटोकाल के चलते नहीं पहुंच सके थे। केंद्र में भाजपा सरकार के दौरान एक केंद्रीय मंत्री के साथ  अयोध्या गए टेंट में रामलला के दर्शन किए थे।

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