अयोध्या: प्रभु रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का ऐसा जादू कि मनोविकारों से भी मुक्त होने लगे लोग!, बोले- ले रहे भरपूर नींद
तेजी से स्वस्थ हो रहे मानसिक रोगी, युवाओं में छूट रहा नशाखोरी और जुआ का व्यसन

अयोध्या। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का असर यूपी में तो हो ही रहा है लेकिन सबसे ज्यादा फायदा मानसिक रोगियों को मिल रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का ऐसा जादू है कि मनोविकार से ग्रस्त रोगी अब तेजी से ठीक हो रहे हैं। वो बता रहे हैं कि वो अब खुद को पहले की तुलना में ज्यादा ऊर्जावान महसूस कर रहे हैं। उन्हें अब भरपूर नींद भी आने लगी है। आइये आपको विभिन्न केसेज के माध्यम से समझाते हैं कि मनोरोगियों पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का क्या असर हो रहा है।
केस एक - अंगूरीबाग के रहने वाले पंकज सिंह बीते आठ माह से अनिद्रा और मानसिक तनाव से ग्रसित थे, जब से प्राण प्रतिष्ठा का उल्लास प्रारम्भ हुआ तबसे न केवल भरपूर नींद ले रहे हैं बल्कि पूरी तरह से तनाव मुक्त हो चुके हैं।
केस दो - तेलीटोला की मानिषी सोनी साल भर पूर्व मनोरोग से पीड़ित हुईं, वर्तमान में भी इलाज चल रहा है। भव्य राम मंदिर में रामलला को विराजते देख अब पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं।
यह दो केस तो बानगी भर है, वर्ना मनोविकारों से ग्रसित रोगियों के लिए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा रामबाण सरीखी बन गई है। अमृत विचार की ओर से इसे लेकर पड़ताल की गई तो चौकाने वाले जानकारी सामने आई। जिला अस्पताल और निजी मनोचिकित्सकों के यहां आने वाले मरीज पहले से अब बेहतर स्थिति में आने लगे हैं। मनो रोग विशेषज्ञों का कहना है कि उल्लास और उत्सव के माहौल में मनोरोगी तेजी से रिकवर हो रहे हैं।
रामोत्सव की टोन बढ़ा रही हैप्पी हार्मोन
मनोचिकित्सकों के अनुसार विभिन्न पर्व व त्यौहार न केवल मनोतनाव पैदा करने वाले मनो रसायन कॉर्टिसाल के स्तर को कम करते है बल्कि मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन और डोपामिन, आत्मीयता व आनन्द की अनुभूति वाले हार्मोन एंडोर्फिन व आक्सीटोसिन की मात्रा को बढ़ाते हैं। जिससे मन में आस्था,स्फूर्ति, उमंग, उत्साह ,आनन्द व आत्मविश्वास का संचार होता है। इतना ही नहीं मानसिक शांति व स्वास्थ्य में अभिवृद्धि होती है।
डॉ. बीआर वर्मा कहते हैं कि आस्था-पर्व जनित आनंद व उत्साह से उन मनोवृतियों पर अंकुश लगाने मे मदद मिलती है। आस्था जनित उल्लास चरमोत्कर्ष पर होता है व अकल्पनीय उत्सव घटित हो रहा हो तो आनंद की अनुभूति कराने वाले मनोरसायन डोपामिन की जन मन में बाढ़ सी आ जाती है।
रामोत्सव से सामूहिक मनोआनंद की मनोदशा पराकाष्ठा पर
अद्भुत व अभूतपूर्व अयोध्या में रामोत्सव से जन मानस मे ऐसी ही सामूहिक मनोआनंद व उत्साह की मनोदशा परिलक्षित हो रही है। जिसे मनोविश्लेषण की भाषा में मास-यूफोरिया कहा जाता है। वर्तमान में विगत दो माह से ऐसे वातावरण में चहुंओर आनंद के वातावरण के कारण मनोरोग से ग्रसित लोगों में नवचेतना जाग्रत हो रही है। यह जन- मनोचित्रण कई हफ्तों तक चले ऑब्जर्वेशनल रिसर्च के बाद सामने आया है।
वर्तमान में अयोध्या धाम में रामोत्सव के उल्लास से मनोरोगी तेजी से रिकवर हो रहे हैं। अब तक दस ऐसे केस सामने आए हैं जो न केवल ठीक हो चुके हैं बल्कि सामान्य दिनचर्या में अपनी बेहतर अभिव्यक्ति दे रहे हैं।
डाॅ. आलोक मनदर्शन, मनोविश्लेषक, जिला अस्पताल, अयोध्या
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