बरेली: पहले ई-चालान...फिर जारी कर सकेंगे ई-वे बिल

बरेली, अमृत विचार: सात साल पुराने जीएसटी के नोटिसों से परेशान व्यापारियों की मुश्किलें अभी ओर बढ़ेंगी। केंद्र सरकार ने जीएसटी के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। मार्च के पहले दिन से ही पांच करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाले कारोबारी लेनदेन के लिए ई-चालान दिए बगैर ई-वे बिल जारी नहीं कर पाएंगे।
वर्तमान में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के नियमों में पचास हजार रुपये से अधिक कीमत के सामान को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने पर कारोबारियों को ई-वे बिल रखना जरूरी होता है। राज्य कर विभाग के एडिश्नल कमिश्नर ग्रेड वन ओपी चौबे ने बताया कि हाल ही में नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) की जांच में पाया गया कि कई ऐसे करदाता हैं, जो नियमों का उल्लघंन कर बीटूबी (बिजनेस टू बिजनेस) और बीटूई (बिजनेस टू एक्सपोर्ट) ट्रांजेक्शन के लिए ई-चालान बिना ही ई-वे बिल जेनरेट कर रहे हैं।
इससे ई-वे बिल और ई-चालान मैच नहीं होता। ई-वे बिल को तभी जनरेट किया जा सकेगा जब उसमें ई-इनवाइस की सभी एंट्री की गई होंगी। ई-इनवाइस पूरी तरह से ई-वे बिल से जुड़ा होगा। यदि कोई व्यवसायी अपने ई-इनवाइस में ही ट्रांसपोर्टर की डिटेल लिखकर बिल जारी करेगा तो उसके साथ उसका ई-वे बिल स्वत: ही जनरेट हो जाएगा।
टैक्स के भुगतान में पारदर्शिता के लिए सरकार ने नियमों में बदलाव कर ई-वे बिल के लिए ई-चालान आवश्यक किया है। वहीं, ऐसे व्यापारी जो सीधे बीटूसी और गैर सप्लाई श्रेणी के हैं उन पर पहले वाला नियम ही लागू रहेगा। बदले हुए नियम का ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
पोर्टल पर डिटेल कर सकेंगे अपडेट: पांच करोड़ व इससे अधिक वार्षिक टर्नओवर वाले कारोबारी ई-वे बिल को तभी जनरेट कर पाएंगे जब उसमें ई-चालान की सभी एंट्री की गई होंगी। कर विशेषज्ञ मनोज मंगल बताते हैं कि ई-चालान पूरी तरह से ई-वे बिल से जुड़ा है। यदि कोई व्यवसायी अपने ट्रांजेक्शन के लिए ई-चालान में ट्रांसपोर्टर की डिटेल नहीं डालते हैं तो ऐसी स्थिति में वह पोर्टल पर जाकर ट्रांसपोर्ट की डिटेल अपडेट कर सकते हैं।
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