शाहजहांपुर: सरकार की एमएसपी योजना में जगह नहीं पा सका सब्जियों का राजा आलू
शाहजहांपुर, अमृत विचार: सरकार की मिनियम सपोर्ट प्राइस योजना में सब्जियों का राजा कहा जाने वाला आलू शामिल नहीं हो पा रहा है। जबकि शाहजहांपुर जिला आलू उत्पादन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां प्रति वर्ष चार लाख 13 हजार 250 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होता है।
एमएसपी लागू न होने के चलते छोटे किसान आलू की फसल उगाने में रुचि नहीं ले रहे हैं। उत्पादन के समय आम किसान का आलू 560 रुपये से लेकर 1000 तक बिक रहा है। जबकि किसान ग्रेड ए आलू का 1400 रुपये प्रति क्विंटल और हाइब्रिड आलू का एमएसपी 1200 रुपये प्रति क्विंटल घोषित करने की मांग सरकार से कर रहे हैं।
किसानों के हित के लिए एमएसपी की व्यवस्था सालों से चल रही है। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है। इसे ही एमएसपी कहते हैं। मान लीजिए अगर कभी फसलों की क़ीमत बाज़ार के हिसाब से गिर भी जाती है, तब भी केंद्र सरकार इस एमएसपी पर ही किसानों से फसल ख़रीदती है ताकि किसानों को नुक़सान से बचाया जा सके।
60 के दशक में सरकार ने अन्न की कमी से बचाने के लिए सबसे पहले गेहूं पर एमएसपी शुरू की ताकि सरकार किसानों से गेहूं खरीद कर अपनी पीडीएस योजना के तहत ग़रीबों को बांट सके। तब से सरकार एक निश्चित दाम पर अनाज को खरीदती है। सरकार की ओर से वर्तमान में गेहूं, धान और कुछ मोटे अनाज की फसलों पर एमएसपी दिया जाता है। इसी के चलते जिले में छोटे से लेकर बड़े किसान तक इनकी खेती करते हैं।
एमएसपी गारंटी है कि किसान अगर खर्च करके फसल उगाएगा तो उसे कौड़ियों के भाव बेचने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा। उसे फसल का सही दाम मिल सकेगा। दूसरी ओर आलू पर एमएसपी नहीं दिया जाता है। जिसके चलते किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
आलू की खोदाई होती है तो बाजार में उसका दाम बहुत गिर जाता है। ऐसे में मुनाफाखोर आलू का स्टॉक कर लेते हैं और फिर धीरे-धीरे निकाल कर बेचते हैं। ऐसे में बिचौए मुनाफा कमाने में कामयाब हो जाते हैं, लेकिन इसे उगाने वाले किसान को इसका बाजिव दाम नहीं मिल पाता है। कुछ किसानों ने बड़ी कंपनियों से कांट्रैक्ट कर रखा और वह अपना आलू सही दामों पर बेचने में सफल हो जाते हैं।
दूसरी ओर आम किसान को आलू का सही दाम नहीं मिल पाता। इन दिनों गांव देहात में आलू की खोदाई चल रही है। किसानों का कहना है कि 560 रुपये से लेकर साढ़े सात रुपये तक प्रति क्विंटल आलू खरीदा जा रहा है। शहर में फुटकार में बेचने पर दस रुपये प्रति किलो तक दाम मिल सकते हैं, लेकिन ऐसा करना किसान के लिए संभव नहीं है।
बाजार के मूड से बढ़ते-घटते हैं दाम
किसानों का कहना है कि बाजार के उतार-चढ़ाव के चलते उन्हें आलू का उचित दाम नहीं मिल पाता है। ऐसे में सरकार को आलू की खरीद शुरू करनी चाहिए और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की घोषणा करनी चाहिए। एमएसपी न मिलने के चलते किसानों को हर साल परेशानी का सामना करना पड़ता है अगर एमएसपी मिल जाए तो किसानों को इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।
जिले में आलू का रकबा
-कुल क्षेत्रफल- 13 हजार 775 हेक्टेयर
-अनुमानित उत्पादन प्रति वर्ष- 4 लाख 13250 मीट्रिक टन
-कोल्ड स्टोरेज में भंडारण की क्षमता- 1 लाख 99 हजार 318.61 मीट्रिक टन
-कोल्ड स्टोरेज की संख्या- 31
-मुख्य आलू उत्पादन क्षेत्र- पुवायां, बंडा, जलालाबाद और खुटार।
जिले में बड़े पैमाने पर आलू का उत्पादन होता है। कुछ किसान आलू की कांट्रैक्ट फार्मिंग भी करते हैं, लेकिन अभी तक आलू पर एमएसपी लागू नहीं हो पाई है। एक बार प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी आई थी, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई स्पष्ट शासनादेश नहीं आ सका है---राघवेंद्र सिंह, जिला उद्यान अधिकारी।
गेहूं-धान की तरह आलू पर भी एमएसपी लागू की जानी चाहिए। ताकि हर वर्ग के किसान को आलू का सही दाम मिल सके और आलू उत्पादन बढ़े। ए ग्रेड आलू का दाम 1400 और हाइब्रिड आलू का दाम 1200 प्रति क्विंटल किया जाना चाहिए--- दलप्रीत सिंह, किसान नेता।
वर्तमान में किसानों को आलू का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। प्रति क्विंटल दाम इतने कम हैं कि लागत तक निकलना मुश्किल हो रहा है--- अखिलेश यादव, किसान नेता।
सरकार को किसान हित में आलू पर एमएसपी लागू करना चाहिए ताकि जिले में आलू का रकबा बढ़ सके और किसानों की आय बढ़ सके---सुखदेव सिंह उप्पल, किसान नेता।
आलू की खेती किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है, लेकिन सरकार को भी पहल करने की आवश्यकता है। आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य जल्द से जल्द घोषित होना चाहिए---हरदीप सिंह, किसान।