बदायूं: जरूरी नहीं तालाब....मकान के टैंक में भी होगा मछली पालन
जिले में बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन की शुरू हुई कवायद
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बदायूं, अमृत विचार। अगर आपके पास जमीन व तालाब नहीं है तो चिंता करने की कोई बात नहीं है। आप घर में भी मछली पालन कर सकते हैं। इसके योजना के तहत शहरी क्षेत्र के लोग घर के आंगन या मकान की छत पर भी टैंक बनाकर मछली का पालन कर सकेंगे।
बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन की कवायद जिले में शुरू हो रही है। इसके तहत कम जगह और कम पानी के उपयोग से अधिक मुनाफा लिया जा सकता है। इसमें महिलाओं को बढ़ावा दिया रहा है। अब तक तीन महिलाओं ने योजना का लाभ लेने के लिए विभाग में आवेदन भी किया है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत आधुनिक तकनीक से मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य विभाग फिलहाल पचास हजार रुपये का यह प्रोजेक्ट बना रहा है। इसके लिए बायोफ्लॉक तकनीक के तहत खुले टैंक में मछली पाली जाएगी। टैंक पांच हजार लीटर क्षमता का बनाया जाएगा। कम वजन के इस टैंक को आंगन या मकान की छत पर भी बनाया जा सकेगा।
योजना के प्रोत्साहन के लिए 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। उत्पादक को इसकी लागत का सामान्य वर्ग के लिए चालीस फीसद और अनूसूचित जाती के लिए 60 फीसद अनुदान दिया जाएगा। नियमित रूप से पानी न बदलने, मछली के आहार में कम खर्च की वजह से इसमें लागत भी कम आएगी।
ये होगा फायदा
इस नई तकनीक से सालभर में तीन से पांच क्विंटल मछली का उत्पादन किया जा सकता है। पचास हजार रुपये खर्च कर सालाना करीब दो से तीन लाख रुपये तक मुनाफा कमाया जा सकेगा।
जिले में 12 सौ तालाबों में होता है परंपरागत मछली पालन
जिले में मत्स्य पालन परंपरागत तरीके से ही होता है। अभी जिले में 12 सौ से अधिक मछली तालाब हैं। मत्स्य विभाग के मुताबिक पिछले साल इन तालाबों से पांच सौ किसानों ने मछली का उत्पादन किया था।
ऐसे काम करेगी बायोफ्लॉक तकनीक
इस तकनीक में बायोफ्लॉक नाम के बैक्टीरिया का इस्तेमाल होता है। सबसे पहले मछलियों को टैंक में डाला जाता है, फिर मछलियों को खाना दिया जाता है। मछलियां जितना खातीं हैं, उसका करीब 75 प्रतिशत मल के रूप में निकालतीं हैं। बायोफ्लॉक बैक्टीरिया इसी अपशिष्ट को प्रोटीन में बदल देता है। इस प्रोटीन को मछलियां खातीं हैं।
तकनीक के लाभ
-टैंक का पानी साफ रहता है।
-मछलियों के बीमार होने के खतरे कम होते हैं।
-तालाब की जरूरत नहीं है।
-टैंक में रोज पानी बदलने की जरूरत नहीं होती
महिलाओं को दिया जा रहा बढ़ावा
इस योजना के तहत मछली पालन क्षेत्र में महिलाओं को आगे लाया जा रहा है। जिससे घरेलू महिलाएं घर के कामों से समय निकाल कर इस काम को कर सकें। जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके। जिले में इसकी शुरुआत हो चुकी है। फिलहाल विभाग में टंकी में मछली का पालन करने के लिए तीन महिलाओं ने आवेदन किया है। इनके सफल रहने पर अन्य महिलाओं को भी इस रोजगार से जोड़ा जाएगा।
इस वर्ष तीन महिला मत्स्य पालक को इस योजना से जोड़ा जा रहा है। आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। जल्द ही प्रोजेक्ट शुरू कराया जाएगा। इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ कम लागत में अधिक मुनाफे के अलावा शहरों और कम जगह में भी मत्स्य पालन मुमकिन होगा---अमित कुमार, जिला मत्स्य अधिकारी।
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