Chitrkaoot News: धरोहर को नुकसान पहुंचाकर लगाई चिंगारी बनेगी दावानल- प्रभाकर राव

धरोहर को नुकसान पहुंचाकर लगाई चिंगारी बनेगी दावानल।

Chitrkaoot News: धरोहर को नुकसान पहुंचाकर लगाई चिंगारी बनेगी दावानल- प्रभाकर राव

धरोहर को नुकसान पहुंचाकर लगाई चिंगारी बनेगी दावानल। पुणे निवासी पेशवा ने कहा, अपनी विरासत को बचाना हमारा दायित्व।

चित्रकूट, अमृत विचार। प्रशासन के इस दावे को कि पुरानी कोतवाली में मराठाकालीन इमारत का किसी के पास कोई पुख्ता मालिकाना सबूत नहीं है, पुणे निवासी प्रभाकर नारायण राव पेशवे सिरे से खारिज करते हैं। उनका कहना है कि चित्रकूट प्रशासन ने मराठा अस्मिता को आघात पहुंचाया है। उनके पास इस इमारत के उनके पूर्वजों की धरोहर होने के कानूनी सबूत हैं। यह मामला पूरे महाराष्ट्र में चर्चा का विषय बना है। कहा कि प्रशासन ने इस धरोहर को नुकसान पहुंचाकर जो चिंगारी लगाई है, वह दावानल का रूप लेगी। हम चुप बैठने वाले नहीं।

पिछले दिनों चित्रकूट आए प्रभाकर राव ने इस मसले पर विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि 1818 में श्रीमन् नारायण राव पेशवे ने कर्वी में हमारी जो प्रापर्टी हैं, उनका निर्माण कराया था। वह उनकी वंशशाखा के प्रतिनिधि हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पालिका प्रशासन को इतनी ज्यादा पैसे की ललक है कि उसने इस प्राचीन धरोहर को गिराना शुरू कर दिया।

यह राष्ट्रीय धरोहर है। इस पर हिंदुस्तानियों को गर्व होना चाहिए, इसका प्रशासन ने जनाजा निकाल दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय धरोहर को नुकसान पहुंचाना राजद्रोह की श्रेणी में आता है। अधिकारियों ने राष्ट्रदोह किया है। जो भी इस कृत्य को सुनता है वह अधिकारियों को हृदयहीन की संज्ञा देता है। जिस भी अधिकारी ने यह किया है, हर उस अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। मराठा समाज चुप नहीं बैठेगा। हम अंतिम सांस तक इसके लिए लड़ेंगे।

अपराध करके कोई भाग नहीं सकता। प्रभाकर राव ने दावा किया कि उनके पास पेशवे समाज की इस विरासत के पुख्ता सबूत हैं। बताया कि हिंदुस्तान के गजेटियर में इस बात का जिक्र है कि यह मराठा छावनी थी। 1804 में जब सक्सेशन आफ इंडियन स्टेट एक्ट बना और बुंदेलखंड में जब पेशवा परिवारों को स्थानांतरित किया गया तो पेशवा अमृतराव को रहने की जागीर दी गई, वह यही थी। पूरी कर्वी इसकी राजधानी थी। 1857 आते आते यह जागीर उनके बेटे विनायक राव से होते हुए पोते नारायण राव तक पहुंची।

बताया कि विनायक राव एक बड़े इंजीनियर थे। उन्होंने ही गणेश बाग, चक्र बटा, कटोरा तालाब आदि का निर्माण कराया। उनके अनुसार, नारायण राव ने अपने दीवान राधागोविंद कान्यकुब्जे के साथ यहीं से 1857 की क्रांति का बिगुल फूंका। इसके बाद अंग्रेजों ने उनको कैद करके यहां, रीवा और हजारीबाग में कुछ कुछ दिन रखा।

बताया कि इसके अलावा पालीटिकल प्रिजनर्स पेंशन संबंधी डाक्यूमेंट में भी उल्लेख है। यह दस्तावेज सत्ता हस्तांतरण के समय देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को अंग्रेजों ने सौंपा था। इसमें भी राजनीतिक बंदियों में उनके पूर्वजों का उल्लेख है। बताया कि यह स्थान पेशवेबाड़ा है। इसका निर्माण नगर निगम (नगरपालिका) के अस्तित्व में आने के दो सौ साल पहले का है तो यह पालिका का कैसे हो सकता है। 

हमें एक भी नोटिस तक नहीं दी

प्रभाकर राव ने कहा कि प्रशासन ने जब इस प्रापर्टी पर बुलडोजर चलाया तो हमें एक नोटिस तक नहीं दी। यह पेशवे परिवार, पेशवे प्रेमियों और मराठा समाज का अपमान है।

यह तो गाजा पट्टी जैसा दृश्य

इमारत को देखकर उदास प्रभाकर राव ने कहा कि पालिका प्रशासन ने जिस तरह इस इमारत पर बुलडोजर चलाया है, वह द्रवित करने वाला है। यह तो इजरायल, गाटा पट्टी जैसा दृश्य लग रहा है, जहां मिसाइलों से हमला किया गया।

अन्य जगहों पर मिला सम्मान

प्रभाकर राव ने बताया कि अन्य राज्यों की सरकारों ने हमारी धरोहरों के प्रति सम्मान किया और बाकायदा सर्कुलर जारी कर हमें वापस किया। कहा कि यहां के अधिकारियों को पैसे का मोह ज्यादा है। अन्य जगहों पर तो अधिकारियों को पता चला कि पेशवे वंश के कुछ लोग जिंदा हैं तो उन लोगों ने बहुत सम्मान दिया। बताया कि हजारी बाग की संपत्ति बिहार सरकार ने और रीवा की संपति को मप्र सरकार ने हमें उसका हक दिया। सिर्फ कर्वी भर में विवाद सामने आ रहा है।

कोर्ट की शरण लेंगे

उन्होंने बताया कि अपनी धरोहर के लिए कोर्ट जा रहे हैं। वहां मामले शुरू हो गए हैं। पहले तो उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होगी, जिन्होंने इसे नुकसान पहुंचाया। यह राष्ट्रीय धरोहर है। इसका संरक्षण किया जाना चाहिए।

हमने किसी को किरायेदारी नहीं दी

प्रभाकर राव ने कहा कि उन लोगों ने यहां रहने के लिए किसी को किरायेदारी नहीं दी और न किसी को लिखकर दिया। जब उनको पता चला कि प्रशासन ने यह जगह खाली कराई है तो उन्होंने इसे स्वागतयोग्य बताया था। उनको आशा थी कि इसे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में विकसित किया जाएगा पर अब तो यहां के हालात देखकर लगता है कि जैसे प्रशासन को पैसे की ललक है और वह इसका व्यावसायिक उपयोग करना चाहता है।

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