दिल्ली विश्वविद्यालय: SOL की स्व-शिक्षण सामग्री की समीक्षा के लिए गठित होगा चार सदस्यीय पैनल 

दिल्ली विश्वविद्यालय: SOL की स्व-शिक्षण सामग्री की समीक्षा के लिए गठित होगा चार सदस्यीय पैनल 

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय की एक समिति मुक्त शिक्षा विद्यालय की स्व-शिक्षण सामग्री की समीक्षा का जिम्मा संभालेगी और भविष्य की अध्ययन सामग्री की तैयारी के लिए दिशानिर्देश तैयार करेगी। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।

अकादमिक परिषद के समक्ष प्रस्तुत की गई स्व-शिक्षण सामग्री में बार-बार त्रुटियों को चिह्नित किए जाने के बाद यह फैसला आया है। अधिकारी ने बताया कि 'साउथ कैंपस' के निदेशक, मुक्त शिक्षा विद्यालय के निदेशक, शैक्षणिक मामलों के डीन और अंग्रेजी विभाग के प्रमुख की की सदस्यता वाली चार सदस्यीय समिति को सोमवार या मंगलवार तक अधिसूचित किया जाएगा।

दिल्ली विश्वविद्यालय के 'साउथ कैंपस' के निदेशक प्रकाश सिंह ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''यह समिति मुक्त शिक्षा विद्यालय की स्व-शिक्षण सामग्री की समीक्षा का जिम्मा संभालेगी और भविष्य में अध्ययन सामग्री की तैयारी की समीक्षा के लिए दिशानिर्देश तैयार करेगी।

'' बृहस्पतिवार को एक बैठक के दौरान स्व-शिक्षण सामग्री की समीक्षा रिपोर्ट मंजूरी के लिए अकादमिक परिषद के समक्ष रखी गई। परिषद के एक सदस्य द्वारा अध्ययन सामग्री में व्याकरण संबंधी और तथ्यात्मक व साहित्यिक त्रुटियों की ओर इशारा किए जाने के बाद रिपोर्ट को खारिज कर दिया गया था।

जीसस एंड मैरी कॉलेज की सहायक प्रोफेसर माया जॉन ने मुक्त शिक्षा विद्यालय द्वारा समीक्षा किए जाने के बाद भी अध्ययन सामग्री में मौजूद कुछ त्रुटियों को चिह्नित किया। जॉन ने कहा, ''मुक्त शिक्षा विद्यालय में दाखिला लेने वाले लगभग तीन लाख छात्र इन अध्ययन सामग्रियों का उपयोग करते हैं, जिनमें बहुत ज्यादा तथ्यात्मक त्रुटियां हैं।

कोई भी यह सोचकर हिल उठेगा कि ये छात्र ऐसी खराब गुणवत्ता वाली अध्ययन सामग्रियों से क्या सीखेंगे और आगे चलकर उनका भविष्य क्या होगा।'' विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद ने अध्ययन सामग्री की गुणवत्ता पर आपत्तियों के बावजूद अगस्त में स्व-शिक्षण सामग्री को सशर्त मंजूरी दी थी।

इसके साथ ही मुक्त शिक्षा विद्यालय को अध्ययन सामग्रियों की समीक्षा करने और गलतियों को सुधारने का भी निर्देश दिया गया था। जिसके बाद मुक्त शिक्षा विद्यालय ने राजनीति विज्ञान के दो पत्रों की स्व-शिक्षण सामग्री में त्रुटियों की समीक्षा के लिए एक पैनल का गठन किया था।

राजनीति विज्ञान व भारतीय राजनीति के पत्रों की हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में तथ्यात्मक त्रुटियों के साथ-साथ विभिन्न पाठ्यक्रमों में तारीखों को लेकर कई गलतियां सामने आईं थीं। इनमें गलत जानकारी शामिल थी जैसे कि भारत को 1945 में (1947 के बजाय) आजादी मिली, भारतीय संविधान का 1994 में 'बनाया गया' और जवाहरलाल नेहरू का निधन 1967 (1964 के बजाय) में हुआ। अकादमिक परिषद के नौ सदस्यों ने त्रुटियों पर असहमति जाहिर कर निष्पक्ष समीक्षा की मांग की थी। 

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