छठ पूजा: अस्ताचलगामी सूर्य को माताओं ने दिया अर्घ्य, पति व बच्चों के लिए भगवान भास्कर व छठी मइया से मांगा आशीष
प्रयागराज। लोकआस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन रविवार की दोपहर से ही संगम नगरी गंगा और यमुना घाट पर अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए माताओं की भीड़ पहुंच गयी। बाजे गाजे के साथ नदी में खड़ी होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया और अपने पुत्र की दीर्घायु की मंगलकामना की। छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। चार दिवसीय छठ पर्व के तीसरे दिन सूर्य देव और छठी मैया को अस्ताचलगामी अर्घ्य दिया जाता है।
'छठ' हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है। इस व्रत को संतान की लंबी आयु और पति के स्वस्थ व खुशहाली वा सुख-सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है। चार दिवसीय छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है। रविवार को छठ पर्व पर गंगा और यमुना घाट पर दोपहर से ही व्रती महिलाएं अपने पुत्र और पति के दीर्घायु व परिवार की मंगल कामना के लिए कठिन व्रत का पालन करते हुए डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाट पर पहुंचे।
बलुआघाट बारादरी से लेकर पूरा घाट व्रती महिलाओं से खचाखच भरा हुआ था। व्रती महिलाओं ने छठ मईया की पूजा अर्चना कर नदी खड़ी होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपने पुत्र, पति और परिवार के मंगल कामनाओं के साथ आशीष मांगा।
कब मनाया जाता है छठ पर्व
पंचांग के अनुसार, लोकआस्था का महापर्व छठ कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। इस साल छठ पर्व 17-20 नवंबर तक है। आज षष्ठी तिथि पर 19 नवंबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 20 नवंबर को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत संपन्न होगा।
छठ पर्व पर व्रती महिलाएं पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर कठोर नियमों का पालन करती है। छठ को सबसे कठिन व्रतों में एक है। छठ देशभर में मनाये जाने वाले पर्व को विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में धूम धाम से मनाते है।
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