हल्द्वानी: राज्य गठन के बाद कुमाऊं में 511 स्कूल बंद

हल्द्वानी, अमृत विचार। राज्य गठन के बाद सरकारी स्कूलों की संख्या लगाता घटी है। बच्चों की संख्या कम होने की बात कहकर सरकारी स्कूलों को बंद किया जा रहा है। मंडल में पिछले 23 सालों में 500 से ज्यादा स्कूलों को बंद किया जा चुका है।
जर्जर भवन, अध्यापकों की कमी, पढ़ाई का गिरता स्तर आदि कारणों से सरकारी स्कूलों की स्थिति खराब होती जा रही है। आज हालत यह है कि सक्षम व्यक्ति अपने बच्चों को सरकारी के बजाय प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना पसंद करता है। कुमाऊं मंडल में अल्मोड़ा में पिछले 23 सालों में 200 से ज्यादा सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं।
नैनीताल जिले में यह आंकड़ा 39 है। पहाड़ी क्षेत्रों में स्कूल बंदी की ज्यादा मार पड़ी है। मैदानी इलाकों में स्थिति थोड़ा बेहतर है। ऊधमसिंह नगर जिले में 23 सालों में 9 ही सरकारी स्कूल बंद हुए हैं। यहां सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या ठीक-ठाक है। इसके विपरीत पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन की वजह से भी स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या में कमी आई है। साथ ही जो स्कूल मौजूद हैं वहां शिक्षकों की कमी बनी हुई है। आने वाले समय में सरकारी स्कूलों के बंद होने की संख्या में और बढ़ोत्तरी होने के आसार हैं।
23 सालों में स्कूल बंद होने की स्थिति
जिला बंद हुए स्कूल शिक्षकों के रिक्त पद
अल्मोड़ा 244 1371
पिथौरागढ़ 138 613
चंपावत 62 160
नैनीताल 39 862
बागेश्वर 19 657
यूएस नगर 09 1022
कुल योग 511 4685
पूरे राज्य में यही हाल
हल्द्वानी। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफारमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस की पिछली रिपोर्ट के अनुसार राज्य में प्रत्येक वर्ष औसतन 41 प्राइवेट स्कूल खुल रहे हैं तो वहीं 100 से अधिक सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों के प्रति अभिभावकों का रुझान बढ़ता जा रहा है।
सरकारी स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाने और शिक्षा का स्तर और बेहतर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। आने वाले समय में इसके और बेहतर नतीजे दिखेंगे।
-डॉ. मुकुल सती, अपर निदेशक, समग्र शिक्षा, उत्तराखंड