Ambedkar Jayanti: जातिवाद और स्वार्थ की राजनीति छोड़ें सरकारें, अंबेडकर जयंती के अवसर पर बोली मायावती 

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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लखनऊ, अमृत विचार। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने सभी सरकारों से भी जातिवादी व संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति को त्यागने का आह्वान करते हुये कहा कि ऐसा करके ही संविधान निर्माता बाबा साहब डा भीमराव अंबेडकर के ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार किया जा सकता है। सुश्री मायावती ने सोमवार को डा अंबेडकर को उनकी जयंती के अवसर पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों व अन्य उपेक्षितों को बसपा जुड़कर अम्बेडकरवादी बनने की अपील की। उन्होने कहा कि सभी बहुजनों के लाख दुखों की एक दवा है उनकी आपसी एकता व वोटों के जरिए सत्ता की मास्टर चाबी हासिल करना। 

इसके लिए विरोधियों के सभी हथकण्डों को भी विफल करना होगा। उन्होने कहा कि सभी सरकारें जातिवादी व संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति आदि को त्याग कर संविधानवादी भारतीय बने ताकि जन व देशहित में ’विकसित भारत’ और समतामूलक भारत बनाने का डा अंबेडकर का सपना जमीन पर पूरा हो सके। उन्होने कहा कि देश के करोड़ों बहुजनों में ग़रीबी, बेरोज़गारी, महंगाई, अशिक्षा, पलायन, पिछड़ेपन का त्रस्त जीवन दूर होने जैसे जीवन सुधार का सही लाभ मिलता हुआ नज़र नहीं आ रहा है। 

ऐसे में संविधान के सर्वजन हितैषी कल्याणकारी राज की स्थापना कैसे संभव है। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि बसपा के समतामूलक ’सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ की नीति व सिद्धान्त से ही जन व देश कल्याण संभव है,जिसके लिए सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करना बहुत ज़रूरी है। उन्होने कहा कि कांग्रेस की तरह भाजपा शासनकाल में भी दलित पिछड़ों के हाल बदतर हैं। इन वर्गों के आरक्षण के संवैधानिक अधिकार पर भी हर प्रकार का सुनियोजित कुठाराघात होने से रोजगार के अभाव में इनके हालात कुछ बेहतर होने के बजाय ज्यादातर बिगड़ते ही चले जा रहे हैं। 

जातिवादी पार्टियों के संरक्षण में स्वार्थी तत्वों का ही बोलबाला है। उन्होने कहा कि मुस्लिम समेत अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के हित व कल्याण तो दूर उनके जान, माल व मज़हब की सुरक्षा की संवैधानिक गारण्टियों पर भी खतरा बढ़ा है, जिससे देश में बहु-अपेक्षित व बहु-प्रतीक्षित विकास का माहौल बनाने का नहीं बल्कि उसको बिगाड़ने वाला अत्याधिक राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक तनावपूर्ण माहौल व्याप्त है, और इससे कुछ लोगों को छोड़कर सभी लोग पीड़ित व त्रस्त हैं।

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