भदोही के कालीन उद्योग पर संकट के बादल, इजराइल-हमास युद्ध से पड़ेगा विपरीत असर   

भदोही के कालीन उद्योग पर संकट के बादल, इजराइल-हमास युद्ध से पड़ेगा विपरीत असर   

भदोही, अमृत विचार। विश्व पटल पर मची अफरा- तफरी व युद्ध उन्माद के बीच कालीन कारोबार पर विपरीत असर पड़ने की आशंका को लेकर निर्यातकों की चिंता बढ़ी है। पिछले दिनों भदोही के कालीन मेगा मार्ट में संपन्न हुए इंडिया कारपेट एक्सपो- 2023 में मिले निर्यात ऑर्डर बरकरार रहेंगे अथवा नहीं इसको लेकर निर्यातक चिंतित हैं। 

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के वरिष्ठ सदस्य असलम महबूब ने बताया कि पिछले दिनों भदोही में संपन्न इंडिया कारपेट एक्सपो में निर्यातकों व परिषद द्वारा भारी भरकम निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसके विपरीत मात्र 4 हजार करोड़ का निर्यात ऑर्डर मिलने का आकलन किया गया था। रुस व यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष का कालीन व्यवसाय पर काफी असर देखा जा रहा था क्योंकि रुस व यूक्रेन दोनों भारतीय कालीनों के अच्छे खासे आयातक देशों में गिने जाते हैं। युद्ध के चलते दोनों देशों को होने वाले निर्यात पर काफी असर पड़ा है।

उन्होंने बताया कि इजरायल व हमास के बीच शुरू हुई लड़ाई के कारण दुनिया खेमेबंदी में फंसती नजर आ रही है। उन्होंने बताया कि अमेरिका भारतीय कालीनों का सबसे बड़ा आयातक देश है। जहां करीब भारत के 60 प्रतिशत हस्तनिर्मित कालीन निर्यात किए जाते हैं। इसी तरह लगभग 30 प्रतिशत निर्यात पश्चिमी देशों जर्मनी, स्वीटजरलैंड, हॉलैंड, नार्वे, इंग्लैंड, नीदरलैंड, आस्ट्रेलिया व फ्रांस सहित अन्य देशों को किया जाता है। शेष 10 फीसद में खाड़ी देशों सहित दुनियां के अन्य तमाम देश हैं। युद्ध के बीच मची अफरा-तफरी के कारण विश्व बाजार में अनिश्चितता की स्थिति देखी जा रही है। 

इधर कनाडा भी भारतीय कालीनों का अच्छा आयातक देश रहा है। देखा जाय तो कनाडा से भी राजनयिक रिश्ते खराब होने के कारण वहां होने वाले कालीन निर्यात को लेकर भी तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। उन्होंने आशंका जताई कि अगर इजरायल व हमास के बीच संघर्ष का दायरा बढ़ता है, तो अमेरिका के सहयोगी पश्चिमी देश भी उसके साथ हो सकते हैं। ऐसे में पश्चिमी देशों को होने वाला कालीन निर्यात प्रभावित हो सकता है। 

प्रमुख कालीन निर्यातक हाजी जलील अहमद अंसारी ने बताया कि युद्ध जैसी स्थिति में लोग अपने संसाधनों को सीमित करने में जुट जाते हैं, क्योंकि भविष्य में कैसे हालात होंगे ऐसे में खर्चे में कटौती एक स्वाभाविक प्रक्रिया बन जाती है। कालीन पूर्णतया लग्जरी आइटम होने के कारण इसके आयात पर विषम परिस्थितियों में हमेशा विपरीत असर पड़ता रहा है। पिछले दिनों भदोही में संपन्न इंडिया कारपेट एक्सपो 2023 में 4 हजार करोड़ का ऑर्डर मिलने का आकलन किया जा रहा है अगर युद्ध का दायरा बढ़ा तो तमाम ऑर्डर निरस्त होने की आशंका बढ़ सकती है। 

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