Kushagra Murder News: ट्यूशन से हटाने की वजह से नाराज थी रचिता, अखिलेश यादव ने की परिजनों से बात
कानपुर में छात्र की हत्या से परिजन रो-रोकर बेहाल है।
कानपुर में कपड़ा कारोबारी के बेटे की अपहरण के बाद 30 लाख रुपये की फिरौती नहीं मिलने पर हत्या कर दी गई। हत्या करने वाली उसकी ट्यूशन टीचर, उसका प्रेमी और प्रेमी का दोस्त ही निकला।
कानपुर, अमृत विचार। कपड़ा कारोबारी मनीष कनोडिया के 16 वर्षीय बेटे कुशाग्र कनोडिया के अपहरण और हत्या ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। पीड़ित परिवार का कहना है कि बच्चे की हत्या के बाद पुलिस उसके चरित्र की हत्या कर रही है।
परिवार में रोष व्याप्त है। ये कहना भी गलत है कि कुशाग्र के बर्थ डे पर रचिता और प्रभात आए थे। हकीकत यह है कि दोनों नहीं आए थे। मां ने बताया कि दरअसल उन्होंने मार्च में रचिता को ट्यूशन से हटा दिया था तो वह नाराज थी।
परिवार वालों ने पुलिस की आशनाई की कहानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिवार वालों का कहना है कि 13 अक्टूबर को कुशाग्र उर्फ चीची का बर्थडे था, लेकिन उसे मनाया ही नहीं गया। उस दिन जयपुरिया स्कूल में कॉमफेस्ट था। इस वजह से कुशाग्र पूरे दिन घर में नहीं था। रात दस बजे उसने परिवार के लोगों के साथ ही केक काटा था। जिसकी तस्वीरें भी परिवार वालों ने साझा कीं।
कुशाग्र की मां सोनिया ने बताया कि 16 साल बाद काफी मान्यताओं के बाद बेटी के जन्म के बाद समारोह में टयूशन शिक्षिका रचिता अपने प्रेमी प्रभात शुक्ला को लेकर आई थी।
प्रभात गिफ्ट भी लेकर आया था। उसके बाद से रचिता का व्यवहार बदलने लगा था। मां ने बताया कि रचिता अक्सर शिकायत करती थी कि छोटा बेटा आदित्य उर्फ आदी अनुशासन में नहीं है। मां ने बताया कि इस वजह से उन्होंने रचिता को हटा दिया था और मेल टीचर रखने की बात कही थी। इसके बाद से रचिता का घर आना पूरी तरह से बंद हो गया था।
खुशियां देख रचिता की निगाह बदली
करीब छह माह पहले बेटी होने पर परिवार में खुशियां आ गई थीं। कुशाग्र की मां सोनिया ने बताया कि बेटी के समारोह में रचिता और प्रभात आए थे तो उनके परिवार की खुशियां देख रचिता की निगाह और बात करने का तरीका बदल गया था, बस वे उसे समझ नहीं पाईं, अगर जरा भी समझ जातीं तो उनका बेटा आज जिंदा होता।
उन्होंने बताया कि जिस दिन घटना हुई उसके बाद शाम को कुछ ही घंटों में रचिता ने चार से पांच बार कॉल की जानकारी ली। सोनिया ने बताया कि कोविड में जब रचिता के पिता का निधन हुआ था तो वे उसके घर में खाना भी बनाकर ले गई थीं। उसकी सैलरी 3500 रुपये ही थी लेकिन वे उसकी जरूरतों का ख्याल रखती थीं। उन्होंने उसे 10 हजार रुपये भी दिए लेकिन ये रकम रचिता ने अपनी फीस में कटवा दी थी।
पुलिस कमिश्नर के न पहुंचने से घर वाले नाराज
जघन्य हत्याकांड के तीसरे दिन भी पुलिस कमिशनर डॉ आर के स्वर्णकार पीड़ित परिजनों से मिलने नहीं पहुंचे। इससे परिजनों समेत व्यापारी समाज में आक्रोश व्याप्त है। परिवार वालों ने बताया कि आरोपी को उन्होंने ही पकड़कर पुलिस को सौंपा था। अगर देर हो जाती तो शायद उनके बेटे के शव का भी पता नहीं चलता।
गुरुवार को डीसीपी सेंट्रल प्रमोद कुमार, एडीसीपी सेंट्रल आरती सिंह, एडीसीपी क्राइम मनीष सोनकर, एसीपी अकमल खां, एसीपी सृष्टि सिंह और इंस्पेक्टर रायपुरवा अर्चना शर्मा कुशाग्र के घर पहुंची और परिजनों से बातचीत की। परिजनों ने कहा कि प्रभात के घर पर भी बुलडोजर चलवाया जाए। परिजनों ने प्रभात के परिवार वालों और रचिता से मिलने गए उसके रिश्तेदार को भी आरोपी बनाने की मांग की।
अखिलेश यादव ने की परिजनों से बात
हत्याकांड के तीसरे दिन कुशाग्र के घर सुबह से ही लोगों का आना जाना लगा हुआ था। दोपहर बाद आर्यनगर विधायक अमिताभ बाजपेई और कैंट विधायक मोहम्मद हसन रूमी भी घर पहुंचे और परिवार वालों से बातचीत की। अमिताभ बाजपेई ने बताया कि डीएम और पुलिस कमिश्नर को इतना समय भी नहीं है कि वे कुशाग्र के घर आएं। उन्होंने अपने फोन से कुशाग्र के चाचा की पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात कराई।
कुशाग्र के चाचा संजय ने अखिलेश यादव को बताया कि उनके बच्चे के साथ न्याय होना चाहिए, बहुत नृशंस हत्या की गई है। इस पर अखिलेश यादव ने न्याय दिलाने के साथ ही जल्द ही कानपुर आकर उनसे मिलने की बात कही। अधिवक्ता नरेश चंद्र त्रिपाठी के साथ कई अधिवक्ता पहुंचे उन्होंने बताया कि किसी भी हालत में कानपुर का कोई एडवोकेट आरोपियों का केस नहीं लड़ेगा और न ही जमानत का प्रयास किया जाएगा। वे पुलिस अधिकारियों से तब तक मिलेंगे जब तक इस मामले में परिवार वालों को न्याय नहीं मिल जाता है। उन्होंने डीसीपी सेंट्रल प्रमोद कुमार को ज्ञापन भी दिया।
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