IOC ने वाहन परीक्षण के लिए ‘रेफरेंस' पेट्रोल, डीजल का उत्पादन किया शुरू
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नई दिल्ली। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने भारत में पहली बार विशेषीकृत ‘रेफरेंस’ पेट्रोल, डीजल का उत्पादन शुरू किया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। ‘रेफरेंस’ पेट्रोल, डीजल का उपयोग वाहन परीक्षण में किया जाता है।
उच्च विशिष्टता वाला ये ईंधन वाहन विनिर्माताओं और इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया जैसी परीक्षण एजेंसियों के परीक्षण के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
भारत दशकों से इस विशेष ईंधन के लिए आयात पर निर्भर रहा है। सूत्रों ने कहा कि लेकिन अब, देश के पास स्वदेशी रूप से विकसित उत्पाद हैं जिससे वाहन विनिर्माताओं और परीक्षण एजेंसियों के लिए बहुत कम लागत पर विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
आईओसी जैसी पेट्रोलियम कंपनियां अपने पेट्रोल पंप नेटवर्क के माध्यम से मुख्य रूप से दो प्रकार के पेट्रोल और डीजल बेचते हैं - नियमित और प्रीमियम। सामान्य और प्रीमियम ईंधन के बीच सबसे बड़ा अंतर ऑक्टेन नंबर में होता है।
नियमित ईंधन की ऑक्टेन संख्या 87 होती है, लेकिन प्रीमियम ईंधन की ऑक्टेन संख्या 91 या उससे भी अधिक होती है। ऑक्टेन नंबर और कुछ नहीं बल्कि पेट्रोल की ज्वलन गुणवत्ता को मापने की एक इकाई है। हालांकि, वाहन परीक्षण के लिए ईंधन को नियमित या प्रीमियम पेट्रोल और डीजल की तुलना में उच्च श्रेणी का होना चाहिए।
इन ‘रेफरेंस’ ईंधन का उपयोग स्पार्क इग्निशन इंजन से लैस वाहनों के उत्सर्जन परीक्षण के लिए किया जाता है। सूत्रों ने कहा कि चूंकि ऐसे ईंधन के लिए मात्रा की आवश्यकताएं पारंपरिक रूप से बहुत अधिक नहीं थीं, इसलिए रिफाइनरियां उनका उत्पादन नहीं करती थीं। वाहन परीक्षण के लिए 'रेफरेंस' की सभी आवश्यकताएं आयात से पूरी की गईं।
सरकार के ‘आत्मनिर्भर’ मिशन के तहत आईओसी ने अपनी रिफाइनरी में ‘रेफरेंस’ ईंधन का उत्पादन शुरू कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि बृहस्पतिवार को एक समारोह में पहली बार इस ईंधन का अनावरण होने की संभावना है। इस कार्यक्रम में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी शामिल हो सकते हैं।