लखनऊ : डेंगू बुखार होने पर बरतें यह सावधानी, नहीं होगी बड़ी परेशानी

लखनऊ, अमृत विचार। हर साल इस मौसम में बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ती है। डेंगू के मरीज भी इसी मौसम में मिलते हैं। डेंगू वायरस जनित रोग है। इसमें बुखार आता है बुखार के बाद कई तरह के लक्षण भी सामने आते हैं। वह लक्षण वायरस के प्रकार पर निर्भर करता है। डेंगू के अलग- अलग प्रकारों में समस्या भी अलग- अलग होती है। किसी में बुखार तेज होता है, किसी में बदन दर्द की शिकायत होती है। कुछ मामलों में रक्तस्राव होता है।
यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के फिजियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. नरसिंह वर्मा ने दी है। उन्होंने बताया कि डेंगू हो या फिर कोई और बुखार मरीज को धैर्य बनाकर रखना चाहिए। दिक्कत बड़ी तब होती है जब लोगों में धैर्य की कमी हो जाती है। चिकित्सकों को चाहिए की वह मरीज को पूरी जानकारी दें और खतरे वाले लक्षणों को जरूर बतायें।
डेंगू या फिर कोई भी बुखार आने पर मरीज को धैर्य बनाकर रखना चाहिए क्योंकि आजकल की सबसे बड़ी समस्या लोगों में धैर्य की कमी है। रही बात चिकित्सकों की तो वह भी नहीं बताते हैं कि रेड फ्लैग साइन क्या है। रेड फ्लैग साइन यानी कि खतरे की बात चिकित्सक अपने मरीज को बतायें। वहीं लोगों के लिए यह बात सबसे ज्यादा जरूरी है कि जब भी उन्हें बुखार आये डॉक्टर की सलाह पर ही दवा खायें अपनी मर्जी से इलाज न करें। साथ ही पानी की कमी शरीर में न होने दें।
रिपोर्ट आती है गलत
डॉ. नरसिंह वर्मा ने बताया कि बुखार आने पर कई बाद तुरंत जांच कराई जाती है। जिसके कारण रिपोर्ट गलत आती है। कई मामलों में तो देखा गया है कि मलेरिया, टाइफाइड और चिकनगुनिया तीनो पॉजिटिव आ गया है। उन्होंने बताया कि समय पर जांच न कराने की वजह से यह होता है। जिस भी बीमारी की किट से जांच करायेंगे समय से पहले तो रिपोर्ट उसी आधार पर आती है। बुखार आने के सात दिन पर जांच कराने पर रिपोर्ट सही आती है।
डेंगू पीड़ित मरीज को क्या करना चाहिए
डॉ. नरसिंह वर्मा ने बताया कि डेंगू पीड़ित मरीज को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ देने की जरूरत होती है, साथ यह भी ध्यान रखने की आवश्यकता है कि मरीज को एंटीबायोटिक ना दी जाए क्योंकि इस तरह के बुखार में एंटीबायोटिक का कोई रोल नहीं है। उन्होंने बताया कि बहुत से डॉक्टर मरीज को एंटीबायोटिक लिख रहे हैं जो मरीज के लिए हितकारी नहीं है।
वायरस नहीं बल्कि इस वजह से होता है नुकसान
उन्होंने बताया कि शरीर को नुकसान वायरस के होने से नहीं होता बल्कि शरीर का प्रतिरोधी तंत्र जब उस वायरस के खिलाफ लड़ता है तब हमारे शरीर को नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में कई बार शरीर अथवा पेट में पानी भर जाता है कभी फेफड़ों में पानी इकट्ठा होता है खून की धमनियों से पानी बाहर आने लगता है।
शरीर में कब चढ़ायें प्लेटलेट्स
उन्होंने बताया कि शरीर में प्लेटलेट्स का काम होना हर तरीके के बुखार में सामने आता है, लेकिन डेंगू में ज्यादा कम होता है प्लेटलेट्स के नंबर से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि कई बार शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या ठीक होने के बावजूद भी ब्लीडिंग होती है, तब भी प्लेटलेट्स देने की आवश्यकता पड़ सकती है। इसके अलावा यदि किसी के शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या शून्य है और उसे रक्तस्राव नहीं हो रहा है तो प्लेटलेटस चढ़ाने पर कोई लाभ मरीज को नहीं मिलता है।
कब करें मरीज को भर्ती
उल्टी दस्त और पानी की कमी
कमजोरी की वजह से मरीज चलने फिरने में दिक्कत महसूस कर रहा हो
सिर में दर्द और भ्रम की स्थिति पैदा होने पर
बातचीत के दौरान मरीज के विचारों में परिवर्तन
रक्तचाप तेजी से गिर रहा हो
दिल के धड़कन में बदलाव।
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