बरेली: पति बेरोजगार तो पत्नी बेजार... टूट रहे हैं परिवार

बरेली: पति बेरोजगार तो पत्नी बेजार... टूट रहे हैं परिवार

ओमेंद्र सिंह, बरेली, अमृत विचार। पुलिस लाइन के परिवार परामर्श केंद्र में बुधवार को पति-पत्नी के विवाद के कुल 19 मामलों में सुनवाई हुई, इनमें से आठ दंपतियों के बीच झगड़े की वजह बेरोजगारी थी। काउंसिलिंग करने वालों ने काफी कोशिश की लेकिन उनके विवाद का समाधान नहीं करा पाए।

परामर्श केंद्र के जनवरी से सितंबर तक के आंकड़े और ज्यादा चिंताजनक हैं। इस बीच कुल 941 मामले परामर्श केंद्र में आए जिनमें से साढ़े चार सौ से ज्यादा में पति-पत्नी के बीच विवाद की वजह बेरोजगारी थी। और भी ज्यादा चिंता पैदा करने वाला तथ्य यह है कि इनमें से साढ़े तीन सौ यानी करीब 75 फीसदी विवादों का कोई हल नहीं निकल पाया है।

परिवार परामर्श केंद्र पर बुधवार को पेश हुए कई मामलों से यह भी साफ हुआ कि बेरोजगारी सबसे ज्यादा निचले और निम्न मध्य वर्ग को प्रभावित कर रही है। मीरगंज के एक गांव की गंगा ने बताया कि उनका पति बेरोजगार है। घर में दो जून की रोटी का संकट है। कुछ दिन पहले बच्ची के लिए 10 रुपये मांगने पर उसके साथ बेरहमी से मारपीट कर दी।

बहेड़ी की रेहाना ने कहा कि उनका पति कुछ कमाता नहीं है। वह जब घर के कामों के लिए पैसे मांगती हैं तो पति के साथ सास भी मारपीट करती है। सास-ससुर के पैसों से रोटी चल रही है लेकिन परिवार के और जरूरी खर्च नहीं चल पा रहे हैं। रेहाना ने कहा कि पति को रोजगार मिलने तक अब वह ससुराल नहीं जाएंगी। परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी सब इंस्पेक्टर आयशा ने बताया कि पति-पत्नी के बीच इसी तरह के विवादों की भरमार है। काफी काउंसिलिंग करने के बावजूद ज्यादातर मामलों में कोई हल नहीं निकल पाता।

बेरोजगारी की वजह से महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा भी बढ़ी
बेरोजगारी की वजह से होने वाले पति-पत्नी के ज्यादातर विवादों के घरेलू हिंसा के आरोप भी शामिल हैं। मीरगंज के गांव की गंगा के मुताबिक हाल ही में उनके पति ने उन्हें इतना बेरहमी से पीटा कि उनका हाथ टूट गया। घायल हालत में परामर्श केंद्र पहुंची गंगा ने कहा कि वह अब ससुराल नहीं जाएंगी।

रेहाना ने भी पति और सास पर मारपीट करने के आरोप लगाए। बोलीं, बच्चों का खर्च तक नहीं निकल पाता। कई और मामलों में पत्नियों ने घरेलू हिंसा के आरोप लगाते हुए ससुराल जाने से इन्कार किया। परिवार परामर्श केंद्र पर सिर्फ दो मामलों में समझौता हो पाया। बाकी विवादों में अगली तारीख दे दी गई।

253 मामलों में समझौता 113 में बेरोजगारी वजह
परिवार परामर्श केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से अब तक पति-पत्नी के 941 विवाद पहुंचे हैं। इनमें से जिन 253 मामलों में समझौता कराया गया है, उनमें से 113 मामलों में बेरोजगारी पति-पत्नी के बीच अलगाव का कारण बन गई थी।

महीने दर महीने नहीं घटी तादाद
परिवार परामर्श केंद्र में इस साल जनवरी में 27, फरवरी में 25, मार्च में 24, अप्रैल में 24, मई में 23, जून में 32, जुलाई में 33 और अगस्त में 24 मामलों में समझौता हुआ है। इनमें बेरोजगारी से संबंधित विवाद जनवरी में 13, फरवरी में 15, मार्च में 16, अप्रैल में 11, मई में 10, जून में 18, जुलाई में 20 और अगस्त में 10 हैं।

688 मामलों में समझौता कराने की कोशिश
परिवार परामर्श केंद्र की प्रभारी सब इंस्पेक्टर आयशा ने बताया कि फिलहाल 688 विवादों में समझौता कराने की कोशिश की जा रही है। काउंसलर दंपतियों को समझाने की भरसक कोशिश करते हैं। उम्मीद है कि टूट रहे कई रिश्तों को वे लोग बचा लेंगे। लंबित 688 मामलों में बेरोजगारी से संबंधित करीब 350 मामले हैं। बुधवार को भी आए 19 मामलों में से आठ विवाद बेरोजगारी की वजह से हुए थे। इनमें तीन मामलों में समझौता करा दिया गया है।

बेरोजगारी से दरक रही रिश्तों की दीवार
लोगों को रोजगार देने के सरकारी कोशिशें अपनी जगह हैं और आम समाज की बेहद कड़वी हकीकत अपनी जगह। सरकारी आंकड़ों से ही बयां होती हकीकत यह है कि बढ़ती बेरोजगारी सैकड़ों बसे-बसाए परिवारों के टूटने की वजह बन रही है। पति इस समस्या से बचने का कोई रास्ता ढूंढ नहीं पा रहे हैं और कंगाली के हालात ने पत्नियों का जीना दूभर कर दिया है।

परिवार परामर्श केंद्र के आंकड़ों में पति-पत्नी के बीच करीब 50 फीसदी झगड़ों में बेरोजगारी की भयावह तस्वीर छिपी हुई है। ऊपर से महंगाई भी इस आग में घी का काम कर रही है। दूसरी तरफ, रोजगार दिलाने वाली प्रमुख सरकारी योजनाओं का आगाज चाहे जितना धूमधड़ाके के साथ हो रहा हो, उनका अंजाम कोई उम्मीद नहीं पैदा कर पा रहा है।

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