ज्योतिष महर्षि की उपाधि से नवाजे गए कानपुर के डॉ रमेश चिंतक, देश व समाज कल्याण को सरकारें ज्योतिष परामर्श दाता नियुक्त करें
ज्योतिष महर्षि की उपाधि से नवाजे गए कानपुर के डॉ रमेश चिंतक।

ज्योतिष महर्षि की उपाधि से कानपुर के डॉ रमेश चिंतक नवाजे गए। देश व समाज कल्याण को सरकारें ज्योतिष परामर्श दाता नियुक्त करें।
कानपुर, अमृत विचार। देश के जाने-माने ज्योतिषविद एवं वास्तुशास्त्री डॉ. रमेश चिंतक को ज्योतिष महर्षि उपाधि से नवाजा गया। यह ज्योतिष की विधा में सर्वश्रेष्ठ उपाधि मानी जाती है। कानपुर निवासी डॉ चिंतक बीते 35 सालों से ज्योतिष एवं वास्तु के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
डॉ चिंतक को यह उपाधि मैसूर में हुई इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज (भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद) के 38वें अधिवेशन में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच दी गयी। यही नहीं उन्हें काउंसिल की त्रिवार्षिक चुनाव में वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी चुना गया।
ज्योतिष विधा की यह संस्था विश्व में सबसे बड़ी संस्था कही जाती है। देश में इसके 55 चैप्टर हैं। डॉ रमेश चिंतक विज्ञान आधारित ज्योतिष अध्ययन का कानपुर चैप्टर 1992 सेसंचालित करते हैं जहां से अब तक 22 सौ छात्रा पास आउट हो चुके हैं। डा.रमेश चिंतक से हुई बातचीत के प्रमुख अंश इस प्रकार है।
सवाल-ज्योतिष में आपकी रुचि कब से है?
जवाब-1992 में देवकी नंदन दीक्षित (स्वर्गीय) जो डॉ बी वी रमन के मित्र थे उनके द्वारा कानपुर चैप्टर का आरंभ हुआ था। लगभग 18 वर्षों तक मैं इस चैप्टर चेयरमैन रहा 2013 से संस्था के राष्ट्रीय पदाधिकारी के रूप में काम कर रहा हूँ। इस समय ज्योतिष में गहरी रुचि रखने वाले कई आईएएस, आईपीएस, इंजीनियर, डॉक्टर्स चैप्टर के छात्र रहे हैं। कानपुर चैप्टर से ज्योतिष प्रवीण की उपाधि वाले 31 वर्षों में अब तक 22 सौ छात्र पास आउट हुए हैं।
सवाल- आप ज्योतिष को किस तरह परिभाषित करते हैं?
जवाब- ज्योतिष विद्या को वेदों का नेत्र कहा गया है। हमारे ये चर्म चक्षुओं से तो भौतिक संसार दिखाई देता है किंतु वेद चक्षु ज्योतिष से पारलौकिक जगत और भविष्य दिखाई देता है। इस विद्या का बहुत प्रचार प्रसार हो रहा है। लोगों का आकर्षण इसके प्रति बढ़ रहा है साथ ही कई चुनौतियाँ भी बढ़ रहीं है।
सवाल-ज्योतिष में लोगों का विश्वास है तो भविष्यवाणी का उपयोग सरकारें क्यों नहीं करती हैं?
जवाब-सही कहा आपने…। सरकारें यदि ज्योतिषियों की राय को महत्व देते हुए फैसले करें तो निश्चित ही तमाम संभावित संकट से देश व समाज को बचाया जा सकता है। प्रधानमंत्री व राज्यों के मुख्यमंत्री अन्य सलाहकारों की तरह ज्योति सलाहकार भी रखें पर चयन की कठिन प्रक्रिया होनी चाहिए। सनातन काल चली आ रही इस विद्या का सही उपयोग हो सकेगा।
सवाल-वैचारिक टकराव भी तो हो सकता है। ऐसे में क्या होगा?
जवाब-क्यों होगा, मैं एक बड़े कम्युनिस्ट लीडर को जानता हूं जो रात के अंधेरे में भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के संस्थापक डा.बीवी रमन से राय मशविरे को जाया करते थे। यह विज्ञान आधारित विद्या है फिर हर्ज क्या? दरअसल इसका गणित-भाग मानव मस्तिष्क की वैज्ञानिक प्राप्ति का मूल है।
सवाल-पर लोगों में ज्योतिष के प्रति रुझान कम दिखता है। ऐसा क्यों?
जवाब-मैं आपके प्रश्न से सहमत नहीं हूं। मेरा मानना है कि युवाओं में रुझान तेजी से बढ़ रहा है। काउंसिल के भी चैप्टरों की संख्या बढ़ रही है। ज्योतिषशास्त्र रोजगारमूलक हो रहा है। यह अच्छे संकेत हैं। लोग जीवन के छोटे बड़े फैसले से पहले ज्योतिषियों की सलाह लेते हैं। यही नहीं विदेशों में भी भारतीय ज्योतिष की लोकप्रियता बढ़ी है।
सवाल-ज्योतिष शास्त्र का सबसे ज्यादा उपयोग लोग रिश्तों, कारोबार, कैरियर मतलब किस जीवन के किस पहलू पर करना चाहते हैं?
जवाब-देखो, मनुष्य के जीवन का कोई भी पहलू ज्योतिषशास्त्र से अछूता नहीं बचा। बहुत व्यापक क्षेत्र है। आजकल कारोबार, भविष्य निर्माण और नौकरियों को लेकर लोग परेशान लगते हैं। हालांकि आजकल सिर्फ़ धन कमाने की लालसा के कारण कुछ लोग इसके माध्यम से ठगी करने लगे हैं। उपायों के नाम पर धनउगाही ध्येय हो गया है। इससे वैदिक ज्योतिष जैसी महान विद्या कलुषित और कलंकित होती है। ऐसे लोगो को वारहमिहिर ने नक्षत्र सूची कहा है।