द्रविड मॉडल के तहत महिलाएं पुजारी के तौर पर मंदिरों में कर रही हैं प्रवेश, माना जाता था अपवित्र
चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने बृहस्पतिवार को कहा कि शासन के द्रविड़ मॉडल के तहत महिलाएं तमिलनाडु के मंदिरों में पुजारी के रूप में प्रवेश करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
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स्टालिन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘‘पायलट और अंतरिक्ष यात्री के तौर पर महिलाओं की उपलब्धियों के बावजूद, उनके मंदिर के पुजारी की पवित्र भूमिका निभाने पर रोक थी, उन्हें अपवित्र माना गया, यहां तक कि देवी मंदिरों में भी, लेकिन अंततः परिवर्तन हुआ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तमिलनाडु में हमारी द्रविड़ मॉडल सरकार ने सभी जातियों के लोगों को पुजारी के रूप में नियुक्त करके थानथाई पेरियार के दिल से कांटा निकाल दिया है, महिलाएं अब गर्भगृह में कदम रख रही हैं, इससे समावेशी और समानता का एक नया युग आ रहा है।’’
पुजारी के रूप में सभी जातियों के व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने के राज्य के एक कार्यक्रम के तहत तीन महिलाओं ने श्रीरंगम, तिरुचिरापल्ली में श्री रंगनाथर मंदिर द्वारा संचालित अर्चाकर (पुजारी) प्रशिक्षण स्कूल में प्रशिक्षण पूरा किया है। सुधारवादी नेता 'पेरियार' ई वी रामासामी ने एक बार गैर-ब्राह्मणों को मंदिरों में पुजारी की भूमिका निभाने की अनुमति न दिये जाने को अपने दिल में "कांटा" बताया था।
राज्य के कुछ मंदिरों में महिलाएं पहले से ही, पुजारी के रूप में कार्यत हैं। हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती मंत्री पी के शेखर बाबू ने 2021 में कहा था कि महिलाओं को प्रशिक्षण के बाद मंदिरों में पुजारी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
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