विद्यालय सुरक्षा समिति

विद्यालय सुरक्षा समिति

यह बात कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि विद्यालय किसी भी देश या समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। बच्चें के सर्वागीण विकास का प्रमुख कारक विद्यालय हैं,जहां वह शिक्षा तो प्राप्त करता ही है, साथ ही समाज में अपने अस्तित्व को पाने के लिए भी दक्ष होता है। वास्तव में देखा जाए तो स्कूल में बच्चों का संरक्षक अध्यापक होता है जिससे वह निडर होकर शिक्षा ग्रहण करता है, लेकिन जब बच्चा स्कूल में असुरक्षित महसूस करने लगे तो स्थिति चिंताजनक हो जाती है।

हाल ही में स्कूलों में हुई घटनाएं इस चिंता को और बढ़ा रही हैं। बीते दिनों के शामली शहर के नवोदय छात्रावास में एक छात्र को शारीरिक शोषण का विरोध करने पर पीटा गया और कपड़े उतार कर छत से लटका दिया गया। इसी प्रकार आजमगढ़ में एक प्राइवेट स्कूल में 11 वीं की छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला प्रकाश में आया था। 

अब सवाल यह उठता है कि इस तरह कि घटनाओं का जिम्मेदार क्या स्कूल प्रशासन को नहीं ठहराना जाना चाहिए। आखिर स्कूल प्रशासन या जिम्मेदार लोग उस समय कहां थे? इससे भी बड़ी असंवेदनशीलता क्या हो सकती है कि जब आजमगढ़ वाली घटना पर जिला प्रशासन द्वारा संज्ञान लेकर, स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई की जाने लगी तो पूरे प्रदेश के स्कूल प्रबंधक इसके विरोध में उतर आए और एक दिन के लिए स्कूलों को बंद कर दिया। उनका यह रवैया गैरजिम्मेदाराना के साथ-साथ निंदनीय भी है।  

यह अच्छा हुआ कि उप्र सरकार द्वारा स्कूलों में बढ़ती इस तरह की घटनाओं को संज्ञान में लेते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में दस सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी स्कूलों में सुरक्षित माहौल बनाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करेगी। कमेटी में स्कूलों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी शामिल किया गया है।

 हालांकि अभिभावकों के किसी प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया है। इस कमेटी के तहत छात्रों की मानसिक भलाई, मोबाइल या टैबलेट का गलत प्रयोग रोकने और अभिभावकों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का काम होगा। साथ ही समिति स्कूलों में होने वाली अपराधिक गतिविधियों पर भी अपनी नजर रखेगी। यह बात सही है कि सरकार द्वारा स्कूलों में छात्रों को सुरक्षा पहुंचाने हेतु समिति बनाई है, लेकिन इस समिति के उद्धेश्य तभी फलित होंगे जब समिति द्वारा अपने कर्तव्यों के प्रति निर्वाहन करने की प्रतिबद्धता हो,अन्यथा की स्थिति में समिति का गठन केवल खानापूर्ति होकर रह जाएगा।  

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