हल्द्वानी: आठ साल ओवरहेड टैंक का नहीं हुआ उपयोग
2015 में एडीबी ने निर्माण पूरा कर जल संस्थान को किया था हस्तांतरित

जलापूर्ति होने पर क्षेत्र की 10 हजार आबादी को मिलता पानी
हल्द्वानी, अमृत विचार। गांधीनगर राजकीय इंटर कॉलेज के परिसर में बना ओवरहेड टैंक पिछले आठ साल से शोपीस बना हुआ है। टैंक का निर्माण 2015 में एडीबी ने किया और जल संस्थान को हस्तांतरित भी कर दिया था। इसके बाद टैंक को ट्यूबवेल से जोड़ा जाना था लेकिन 8 साल बीद भी टैंक में एक बूंद पानी नहीं चढ़ सका।
स्कूल की प्रधानाचार्या मीरा मिश्रा ने बताया कि टैंक का निर्माण तत्कालीन प्रधानाचार्या इला कैड़ा के कार्यकाल में हुआ था। उन्होंने बताया कि तब पूर्व प्रधानाचार्य और स्कूल स्टाफ ने परिसर में टैंक बनाने का विरोध किया लेकिन विभागीय अधिकारियों और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के दबाव पर इसका निर्माण स्कूल परिसर में किया गया। कहा कि निर्माण कर दिया तो स्कूल और स्थानीय लोगों को इससे पानी मिलना चाहिए था। लेकिन जल संस्थान के अधिकारियों की लापरवाही के कारण स्कूल और क्षेत्र की जनता को इसका लाभ नहीं मिल सका है।
6 सौ किलोलीटर है टैंक की क्षमता
ओवरहेड टैंक की क्षमता 600 किलोलीटर है जिससे क्षेत्र के लगभग 10 हजार की आबादी को पानी मिलता। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक एक ओवरहेड टैंक के निर्माण में क्षमता के अनुसार 50 लाख से 1 करोड़ रुपये का खर्च होता है। इससे पानी उपलब्ध होने पर वार्ड 27 इंद्रानगर क्षेत्र के साथ ही वार्ड से जुड़े अन्य क्षेत्रों को भी पानी मिलता। लेकिन जल संस्थान के ढुलमुल रवैये के कारण ट्यूबवेल का निर्माण नहीं हो पाया जिससे टैंक शोपीस बनकर रह गया है।
क्षेत्र के पार्षद ने क्या कहा-
वार्ड 27 के पार्षद रोहित ने बताया कि टैंक का निर्माण उनके कार्यकाल से पहले हुआ है। उन्होंने कहा कि जब स्कूल परिसर में टैंक का निर्माण किया गया तो स्थानीय लोगों को लगा कि पानी की समस्या दूर हो जएगी और उन्हें भरपूर पानी मिलेगा लेकिन 8 साल पहले बने इस टैंक से लोगों को एक बूंद पानी नहीं मिला। उन्होंने कहा कि एडीबी ने टैंक बनाकर जल संस्थान को सौंप दिया था। जल संस्थान को नया ट्यूबवेल बनाकर इसे जोड़ना था। लेकिन विभाग आज तक नये ट्यूबवेल का निर्माण नहीं कर पाया।
स्कूल परिसर में ओवरहेड टैंक बनाना सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है। टैंक में स्कूली बच्चों के चढ़ने से कभी भी कोई अप्रिय घटना हो सकती है। हालांकि हमारी तरफ से बच्चों पर निगरानी रखी जाती है। स्कूल को आज तक इस टैंक से पानी उपलब्ध नहीं हो पाया। इंद्रानगर के ट्यूबवेल से पानी मिलता है। गर्मियों में ट्यूबवेल खराब होने पर कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है।
- मीरा मिश्रा, प्रधानाचार्या, राजकीय इंटर कॉलेज गांधीनगर
एडीबी का बनाया ओवरहेड टैंक जल संस्थान को हस्तांतरित हो गया था। इसे इंद्रानगर के ट्यूबवेल से जोड़ा जाना था लेकिन आबादी बहुत अधिक और ट्यूबवेल की क्षमता कम होने के कारण टैंक उपयोग में नहीं आ पाया। सफदर का बगीचा में ट्यूबवेल प्रस्तावित था लेकिन किसी कारणवश निर्माण नहीं हो पाया। भविष्य में ट्यूबवेल निर्माण की योजना प्रस्तावित है जिसके बाद टैंक उपयोग में आएगा।
- रवींद्र कुमार, सहायक अभियंता, जल संस्थान
एकमात्र ट्यूबवेल खराब होने पर होता है जलसंकट
वर्तमान में गांधीनगर क्षेत्र में लगभग 1 किलोमीटर दूर स्थित इंद्रानगर के ट्यूबवेल से पानी मिलता है। लंबे समय से क्षेत्र के लोग पानी के लिए इसी ट्यूबवेल पर निर्भर हैं। समय के साथ क्षेत्र की आबादी बढ़ते रही लेकिन नए ट्यूबवेल का निर्माण नहीं किया गया। ट्यूबवेल खराब होने पर क्षेत्र में पानी का संकट खड़ा हो जाता है। हालांकि जल संस्थान वैकल्पिक तौर पर टैंकर भेजता है लेकिन लोगों का कहना है कि ट्यूबवेल खराब होने पर विभाग की तरफ से पर्याप्त टैंकर उपलब्ध नहीं करवाए जाते हैं। जिससे लोगों को पीने का पानी उपलब्ध नहीं हो पाता।
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