प्रयागराज : बिना ठोस आधार के पुनर्मतगणना का आदेश अनुचित

प्रयागराज : बिना ठोस आधार के पुनर्मतगणना का आदेश अनुचित

अमृत विचार, प्रयागराज । वोटों की पुनर्गणना के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति द्वारा यह मान लेने पर कि वोटों को अनुचित ढंग से स्वीकार किया गया है, पुनर्गणना का आदेश पारित नहीं किया जा सकता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान की एकलपीठ ने सरोजा देवी की चुनाव याचिका पर उपमंडल अधिकारी, मिर्जापुर द्वारा पारित आदेश को रद्द करने के लिए सरिता यादव द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। आक्षेपित आदेश में वोटों की पुनर्गणना का निर्देश दिया गया था।

वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश में पंचायत के चुनाव हुए, जिसमें याची विकास खंड ग्राम पंचायत, कोलाही के प्रधान पद के उम्मीदवारों में से एक थी। ग्राम पंचायत ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवार के लिए आरक्षित थी। याची ने उम्मीदवार होने के कारण चुनाव चिन्ह के रूप में आवंटित 'कार' द्वारा चुनाव लड़ा। याची को 471 वोट मिले और उसे उक्त ग्राम पंचायत का प्रधान निर्वाचित घोषित किया गया, जबकि विपक्षी सरोजा देवी को 448 वोट मिले थे।

वर्तमान मामले में आरोप वोटों की अनुचित अस्वीकृति, अवैध मतपत्रों की अनुचित स्वीकृति और 1026 के स्थान पर कुल वोटों की संख्या 1004 होने के संबंध में विवाद है। न्यायालय ने उक्त मामले पर विचार करते हुए कहा कि चुनाव याचिका पर निर्णय करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि चुनाव का अधिकार मौलिक है। यह एक वैधानिक कार्यवाही है, जिसमें न तो सामान्य कानून और ना ही समानता के सिद्धांत बल्कि केवल वे नियम लागू होते हैं, जो कानून बनाते हैं।

मौजूदा मामले में मुख्य रूप से अवैध वोट और वोटों की गिनती में हेरफेर के संबंध में आरोप लगाए गए हैं। वोटों की पुनर्मतगणना की प्रार्थना केवल तभी उचित है, जब याची ने भौतिक तथ्य द्वारा समर्थित सटीकता के साथ अपना मामला प्रस्तुत किया हो। इसके साथ ही मतपत्रों की दोबारा गिनती का निर्देश देने के लिए जो दिशा- निर्देश और शर्तें अनिवार्य है। वह मामले के तथ्यों में नहीं है।

चुनाव याचिका में अस्पष्ट दलीलों के आधार पर अवैधता और अनियमितता का आरोप लगाया है, जिनमें कोई साक्ष्य नहीं है। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि उत्तर प्रदेश पंचायत राज नियम, 1994 के तहत दिए गए प्रावधानों के अनुसार मतपेटी को सील करने से लेकर मतपत्र की गिनती तक हर चरण में वोटों की गिनती तथा अन्य मामलों के संबंध में विशिष्ट याचिका या आपत्ति उठाने के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाते हैं।

चुनाव नियम यह भी है कि प्रपत्र 45 और 46 को कानून के तहत निर्धारित उचित प्रक्रिया का पालन करने के लिए गिनती के बाद तैयार किया जाता है और अगर गिनती के समय कोई कमी या अनियमितता होती है तो उपरोक्त प्रपत्र से ज्ञात हो जाता है यानी प्रपत्र में ओवरराइटिंग या कटिंग आदि के आरोप हों तो पुनर्मतगणना का निर्देश दिया जा सकता है, लेकिन उपरोक्त मामले में ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं मिलता है। इन तथ्यों के मद्देनजर कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली।

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