कॉप-28 अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर का सभी देशों से ‘ग्लोबल कूलिंग’ प्रतिज्ञा में शामिल होने का आग्रह
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पणजी। संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन कॉप-28 के नामित अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर ने सभी देशों से ‘ग्लोबल कूलिंग’ प्रतिज्ञा में शामिल होने का आग्रह करते हुए ऊर्जा-कुशल एवं जलवायु-अनुकूल तेज परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर दिया है। एक मीडिया बयान के अनुसार, शनिवार को जी-20 ऊर्जा परिवर्तन मंत्रिस्तरीय बैठक के साथ ही 14वीं स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय बैठक के मौके पर बोलते हुए, कॉप-28 अध्यक्ष ने देशों से वर्ष की शुरुआत में घोषित ‘ग्लोबल कूलिंग’ प्रतिज्ञा में शामिल होने का आग्रह किया।
अल जाबेर ने डेनमार्क के मंत्री डैन जोर्गेनसन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह को ‘कूलिंग चैंपियन’ बनने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद दिया और देशों से एकजुट होने और प्रतिज्ञा में शामिल होने का आग्रह किया। ‘इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी’ (आईआरईएनए) और ‘सस्टेनेबल एनर्जी फॉर ऑल’ (एसईफॉरऑल) के बीच सहयोग से, ‘ग्लोबल कूलिंग’ प्रतिज्ञा का उद्देश्य सबसे कमजोर समुदायों, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ, छोटे द्वीपीय देशों और कम विकसित देशों में अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए शीतलन का विस्तार करना, भोजन को ताजा रखना और टीकों को सुरक्षित रखना है।
सीओपी-28 के मनोनीत अध्यक्ष ने प्रतिज्ञा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा, ‘‘हम सामान्य आधार पर ‘कूलिंग’ का विस्तार नहीं कर सकते। मजबूत नीति कार्रवाई के बिना, क्षेत्र से उत्सर्जन आज से 7 से 10 प्रतिशत के बीच बढ़ जाएगा। इस दुविधा को हल करने के लिए, हमें ऊर्जा-कुशल और जलवायु-अनुकूल ‘कूलिंग’ (शीतलन) के लिए तेजी से परिवर्तन की आवश्यकता है।’’ अल जाबेर ने कहा, ‘‘भोजन और दवा सभी शीतलन पर निर्भर हैं। यह जलवायु अनुकूलन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण महत्व का विषय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रतिज्ञा का उद्देश्य ऊर्जा दक्षता में सुधार करना और स्थायी शीतलन तक पहुंच बढ़ाना है। यह भारत और डेनमार्क सहित 20 से अधिक शुरुआती समर्थकों के साथ गति प्राप्त कर रहा है लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।’’ वर्ष 2023 का संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन या कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज ऑफ द यूएनएफसीसी को सामान्य तौर पर ‘कॉप-28’ के रूप में जाना जाता है, जिसका आयोजन 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक दुबई में होगा। वर्ष 1992 में पहला संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौता होने के बाद से इस सम्मेलन का आयोजन वार्षिक रूप से होता है।
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