नौ साल: संघर्ष में 75 वन्यजीव तो 55 लोगों की चली गई जान

मोनिस खान, बरेली, अमृत विचार। आबादी का दायरा बढ़ रहा है। तेजी से जंगल काटे जा रहे हैं। इससे मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष बढ़ा रहा है। वन विभाग के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। नौ साल में मानव-वन्यजीव संघर्ष में 75 वन्यजीवों की मौत हुई तो 55 लोगों को भी जान गंवानी पड़ी है। इस संघर्ष से प्रभावित जंगल से सटे इलाके सबसे ज्यादा हैं।
वन विभाग के रुहेलखंड जोन के तहत आने वाले बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, अमरोहा, बिजनौर, नजीबाबाद जिलों में वन क्षेत्र आते हैं। जिसमें मानव और वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं में 2014 से लेकर 2023 में अब तक बरेली में 4 लोग और एक वन्य जीव, शाहजहांपुर में 4 लोग, पीलीभीत में 24 लोग, 2 वन्यजीव, मुरादाबाद में 3 लोग, संभल में 2 लोग, रामपुर में 3 लोग, बिजनौर में 8 लोग और 71 वन्यजीव, नजीबाबाद में 7 लोग और 1 वन्यजीव की मौत हुई है।
इनमें से सबसे अधिक घटनाएं तेंदुआ और हाथी के साथ हुए संघर्ष की हैं। लोगों की जान गंवाने का आंकड़ा सबसे ज्यादा पीलीभीत का है। यहां टाइगर रिजर्व है। वहीं, अफसरों का दावा है कि जंगल कम नहीं हुआ बल्कि वन विभाग वन्य जीवों को उनके अनुकूल पर्यावरण देने में कामयाब हुआ है। जिसकी वजह से वन्य जीवों की संख्या तेजी के साथ बढ़ी है।
बिजनौर बन रहा वन्य जीवों की कब्रगाह
बिजनौर प्रभाग में नौ वर्षों में वन्य जीवों की मौत की घटनाएं सबसे ज्यादा हुई हैं। जंगल से सटे इलाकों में अक्सर तेंदुए का खौफ रहता है। सोमवार को कीरतपुर कस्बे में खेत पर काम कर रही एक महिला को तेंदुए ने मौत के घाट उतार दिया था। वहीं, बीते सप्ताह धामपुर के पास शेरकोट में तेंदुए को लोगों ने पीटकर मार डाला था। वन विभाग के अधिकारी मानते हैं कि बिजनौर घने जंगलों से घिरा है। जिसकी वजह से यहां घटनाएं अधिक होती आई हैं।
वन्यजीव नहीं, इंसान ज्यादा दे रहे दखल
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में वन्यजीव चिकित्साधिकारी डॉ. दक्ष गंगवार कहते हैं कि कोई भी वन्य जीव कभी लक्ष्य बनाकर हमला नहीं करता, लेकिन उसके प्राकृतिक वास के साथ छेड़छाड़ होगी तो घटनाएं होंगी। हाथी का ही उदाहरण ले लीजिए, हाथी में एक प्रकार की आनुवांशिक स्मृति होती है। लिहाजा, वर्षों से हाथी जो रास्ता इस्तेमाल करते आए हैं, वो उसी रास्ते चलते हैं। यानी आबादी के पास कहीं हाथी आ रहा है तो वह हमारे क्षेत्र में नहीं आया बल्कि उस स्थान पर कभी जंगल रहा होगा और अब हमारा आवास है।
धामपुर और नगीना जैसे क्षेत्र जंगल से घिरे हैं। बिजनौर के वन्य क्षेत्रों में फेंसिंग भी प्रस्तावित है। इसके अलावा पूरे रुहेलखंड जोन में मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। जिसके लिए हमारी टीम तो काम करती हैं, इसके अलावा अलग-अलग इलाकों में वन मित्र भी बनाए गए हैं।-विजय सिंह, प्रभारी मुख्य वन संरक्षक, रुहेलखंड जोन
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