हल्द्वानी: एक साल बाद भी शुरू नहीं हुआ गर्जिया मंदिर की सुरक्षा का कार्य

हल्द्वानी, अमृत विचार। बीते साल गर्जिया मंदिर की सुरक्षा से संबंधित 9.23 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई थी। लेकिन 1 साल से अधिक होने के बाद भी योजना में काम शुरू नहीं हो पाया है। योजना ईएफसी
( एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमेटी ) से भी पास हो गई थी।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता जगत नारायण रावत ने बताया कि विभागीय स्तर की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। 9.23 करोड़ रुपये की डीपीआर बनाकर शासन स्तर पर भेज दी है लेकिन शासन ने विभाग के प्रस्तावों के परीक्षण के लिए एक कमेटी का गठन किया है जिसे अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपनी है लेकिन अभी तक यह रिपोर्ट सौंपी नहीं गई है।
उन्होंने बताया कि कमेटी में सीडब्ल्यूसी ( सेंटर वॉटर कमीशन ) के अधीक्षण अभियंता, यूएलएमसी के डायरेक्टर तथा प्लानिंग कमीशन के अधिकारी शामिल हैं। कमेटी की रिपोर्ट शासन को सौंपे जाने के बाद डीपीआर को वित्तीय स्वीकृति मिलेगी। तब जाकर कार्य शुरू किया जाएगा। अधिशासी अभियंता ने बताया कि वर्तमान में वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर मंदिर के आधे हिस्से को कवर कर दिया है और बचे हुए हिस्से को भी जल्द ही कवर कर लिया जाएगा। जिससे दरारों में बारिश का पानी न घुस पाए।
टीले की दरारों में बारिश का पानी घुसने से मंदिर पर खतरा
हल्द्वानी। गर्जिया देवी के मंदिर के टीले में दरारें आने और बारिश का पानी घुसने से मंदिर को खतरा होने का मामला सामने आया था। बीते दिनों गर्जिया मंदिर के पुजारी ने मंदिर की सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री को एक शिकायती पत्र भेजा था। पत्र के माध्यम से उन्होंने मंदिर की सुरक्षा में बरती जा रही लापरवाही से अवगत कराया था। बताया था कि टीले की दरारों में बारिश का पानी घुस रहा है जिससे मंदिर पर खतरा बढ़ गया है।
इसके बाद अपर जिलाधिकारी ने सिंचाई खंड रामनगर के अधिशासी अभियंता जगत नारायण रावत को दरारों को ढकने के निर्देश दिए थे। जगत नारायण रावत ने बताया कि मंदिर के टीले में पिछले साल दरारें आई थी इसके बाद बारिश के पानी से बचाने के लिए इसे बड़े तिरपाल से कवर किया गया था। इस साल जून में मंदिर के टीले को कवर किया गया था लेकिन बीते दिनों बारिश और तेज हवा से तिरपाल फट गया था। उन्होंने बताया कि दरारों को नए तिरपाल से कवर कर लिया गया है।