Avantikapuri Dham : पांडव वंशीय राजा जन्मेजय ने नाग यज्ञ कर यहां किया था सर्पों को जलाकर भष्म, जानें क्या है रहस्य..
अमृत विचार, आजमगढ़ । अवंतिकापुरी धाम पर साल में दो बार विशाल एवं भव्य स्नान मेला लगता है। वहीं कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले स्नान मेले का विशेष महत्व है। केवल आजमगढ़ ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी लोग स्नान करने के लिए आते हैं। जानकारी के लिए बता दें यह स्थान पूर्व में घनघोर जंगल में कैद था, उस समय आबादी भी इतनी नहीं थी जितनी की आज है। आज विकास की ओर उन्नमुख स्थली अब साल भर गुलजार रहती है।
यहां पर एक सरोवर स्थित है जो राजा जन्मेजय के नाग सर्प यज्ञ का हवनकुंड था, यहीं पर उन्होंने पांडव वंशीय राजा जन्मेजय ने नाग यज्ञ किया था जिसमें सभी सर्प जल कर भष्म हो गए थे, केवल विष्णु की शैय्या में लिपटे सर्प ही बचे थे। मंदिर के सामने स्थित जलसरोवर पूरे 84 बीघे में फैला हुआ है। इसी सरोवर में डुबकी लगा कर लोग मंदिर में पूजन-अर्चन करते हैं। कहा जाता है कि यहां पर संदीपन ऋषि का आश्रम था, जहां श्रीकृष्ण और सखा सुदामा संग विद्या अध्ययन किए थे। इन सब चीजों के होने के बावजूद यह स्थान पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पाया है।
अवंतिकापुरी धाम के मंदिर परिसर के उत्तरी भाग में कुआं भी स्थित है, जिसे लेकर लोग अलग-अलग कहानियां बताते और सुनाते हैं। जानकारी के लिए बता दें अवंतिकापुरी धाम आंवक गांव में स्थित है और यहां एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि यहां सर्प यज्ञ के बाद से आज तक किसी की भी सर्पदंश से मृत्यु नहीं हुई।
जिलाधिकारी डीएम सुहास एलवाई ने जब अवंतिकापुरी धाम के बारे में सुने तो देखने के लिए पहुंच गए। उन्होंने ग्रामीणों के समक्ष विकास की बात की और समस्याओं को सुनकर समाधान की बात कही। अवंतिकापुरी धाम का विकास भारत दर्शन योजना के अंतर्गत पर्यटन मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
वर्ष 2018 में दो करोड़, 46 लाख रुपये का कार्य प्रस्तावित हुआ था। इसके अंतर्गत धन भी जारी हो चुका है। कार्यदायी संस्था द्वारा बड़ा खेल किया जा रहा है। पिछले छह साल से इसका निर्माण अभी तक पूरा नहीं किया हो सका है। वहीं अवंतिका सेवा सामाजिक समिति के पदाधिकारी भी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं लोग इसे लेकर तरह-तरह की बातें भी कर रहे हैं और निर्माण कार्य अधूरा होने पर सवाल भी खड़े कर रहे हैं।
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