कानपुर: अपनी यूनिवर्सिटी को ऐसा बनाएं की दूसरे उससे सीखने आएं, CSJMU में राज्यपाल ने दिया सुझाव

प्रदेश के साथ ही कई विश्वविद्यालयों के कुलपति और शिक्षाविद हुए शामिल 

कानपुर: अपनी यूनिवर्सिटी को ऐसा बनाएं की दूसरे उससे सीखने आएं, CSJMU में राज्यपाल ने दिया सुझाव

कानपुर/अमृत विचार। हम चंडीगढ़ गए, पूसा गए। वहां की यूनिवर्सिटी को देखा। क्योंकि वह बेहतर हैं। आप भी कुछ ऐसा करें, अपनी यूनिवर्सिटी को ऐसा बनाएं की दूसरे लोग इससे सीखने आएं। यह बात राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कही। वह छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता और उसमें नए बदलाव को लेकर आयोजित शिक्षा मंथन में बोल रहीं थी। 

उन्होंने बताया कि कई कार्य एक साथ हो सकते हैं। क्या फिजिक्स सिखाने वाला खेल का आयोजन नहीं कर सकता है। आज योग योग पूरा विश्व कर रहा है। हम लोगों ने भी विश्वविद्यालयों में योग कराने की सोची। इसका बेहतर परिणाम सामने आया। छात्रों ने पानी के अंदर योग किया। कभी किसी टूर में ले जाएं। वहां की जानकारी छात्रों को दीजिए और योग कराएं। छात्रों को प्रवास कराएं। एक साथ कई कार्य पैरलल चलाया जा सकता है। लगभग 16 लाख छात्रों ने योग में हिस्सा लिया।

प्रधानमंत्री अमेरिका गए विश्व के 180 देश एक साथ आकर योग करते हैं। भारत ने इसका नेतृत्व किया। छात्र भी कर सकते हैं। उनके अंदर अपने क्षेत्र में नेतृत्व करने की क्षमता है। नैक की तैयारी के लिए आप लोगों ने अच्छी तैयारी की है। नैक में ए या ए प्लस ग्रेड मिलने वाली टीम को बुलाया तो उनमें उत्साह बहुत था। उनसे पूछा कि आपमें क्या परिवर्तन आया। 

विश्वविद्यालय में क्या बदलाव हुआ। यूनिवर्सिटी में नया और पुराना भेदभाव दूर करना होगा। छात्र छोटी छोटी चीजों के लिए परेशान हैं। उनसे कहा जाता है, यह मेरा काम नहीं है। ऐसा नहीं होना चाहिए। एक छात्र आपके पास आता है तो उसका मार्गदर्शन कीजिए। वह बाहर जाकर कहेगा तो यूनिवर्सिटी की छवि खराब होगी। 

यूनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थानों में तीन बजे के बाद पूरा कार्य करने के बाद ही उठना है। नैक प्राप्त करने वाली टीम के एक शिक्षक से बात हुई तो उन्होंने बताया कि घर मे चर्चा होती थी कि यह नैक क्या है। आखिर में सभी को पता चल गया  जब विश्वविद्यालय को ग्रेड मिला। उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर छह जिलों में हो रहा है। आज क्या किसी यूनिवर्सिटी में इसपर कोई कार्य हो रहा है। कोई कोर्स संचालित किया जा सकता है।

मैंने दो यूनिवर्सिटी के कुलपति को जिम्मेदारी सौंपी है। कैसा सिलेबस होगा, उसका प्रपोसल तैयार करने के लिए कहा है। हम लोगों ने सोचा है आज जितने वीसी बैठे हैं उनका बायोडाटा निकाला है। वहां पढ़ाई की, रहे उनकी क्या फायदा होगा। उनके संबंधों के आधार पर एमओयू साइन किया जा सकता है। अगर संबंध नहीं होगा तो मुझे शंका होगी कि आखिर वह गये थे कि बस सिर्फ सर्टिफिकेट लेकर आ गए। स्कूल और कॉलेजों में भी विचार आया कि वह भी तैयारी कर रहे हैं नैक के लिए। मैंने कहा कि इसके मार्गदर्शन की जरूरत है तो राजभवन आएं। राजभवन जरूर मदद करेगा।

कुलपति अपने यहां फकल्टी के साथ बैठें चिंतन करें। सभी के चिंतन से बदलाव आता है। अनुभव को जोड़ें। आप आने वाली पीढ़ी के बारे में सोचें। इसी तरह आज नैक की तैयारियों पर मंथन करें। आप यूनिवर्सिटी में जाएं और वहां जाकर जमीन में उतारने का प्रयास करें। मेरा आपसे एक निवेदन है की 25 फीसद भोजन हम बिगाड़ते हैं। हम संकल्प लें कि न पानी और न भोजन बिगाड़ें। जितनी जरूरत है उतनी ही पीएं। आप भी यूनिवर्सिटी में कार्य करते हैं तो इसका ध्यान रखें। आज की चिंतन बैठक है इसपर मंथन करें। बेस्ट यूनिवर्सिटी बनाएं।

कार्यक्रम में प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षण संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल रहें। उच्च शिक्षामंत्री योगेंद्र उपाध्याय समेत उच्च शिक्षा के आला अधिकारी भी शामिल हुए। उच्च शिक्षा के संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 के क्रियान्वयन, नैक मूल्यांकन, नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क, क्यूएस एशिया रैंकिंग, क्यूएस ग्लोबल रैंकिंग, मातृभाषा में पुस्तक निर्माण, अनुवाद, परीक्षा सुधार जैसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विचार-विमर्श किया गया। कार्यक्रम में राज्य के सभी कृषि, चिकित्सा, संस्कृति, प्राविधिक व राज्य विवि के कुलपति, रजिस्ट्रार, वित्त नियंत्रक, परीक्षा नियंत्रक, आईक्यूएसी के हेड समेत संस्थानों के निदेशक और 10 से 15 वर्षों का अनुभव रखने वाले प्रोफेसर भी शामिल हुए।

कार्यशाला में जिन बिंदुओं पर चर्चा हुई, उसकी एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर ही प्रदेश के विश्वविद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता में बदलाव लाने की तैयारी है। अपर मुख्य सचिव सुधीर एम बोबड़े ने कहा कि प्रदेश में नैक के लिए सभी विश्वविद्यालय जुटे हुए हैं। नैक प्राप्त विश्वविद्यालय को आगे की तैयारी करना है। इसका उद्देश्य प्रदेश के कम से कम 10 विश्वविद्यालयों को एआईआरएफ में आना है। एचबीटीयू को जो रैंक मिली है, उसके पीछे टीम वर्क है। कड़ी मेहनत है। शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों की तकनीकी और मेडिकल की किताबें हिंदी में लांच की जाएगी।  

कार्यक्रम में यह विशेषज्ञ हुए सम्मलित
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज जोधपुर के पीडियाट्रिक्स एकेडमिक हेड के विभागाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह, प्रो. अश्विन फर्नांडिस, रीजनल डायरेक्टर एंड सीईओ-मिडिल ईस्ट, नार्थ अफ्रीका, साउथ एशिया-क्यूएस रेटिंग दुबई, एनआईआरएफ नई दिल्ली के सदस्य डॉ. अनिल कुमार, इंडियन लैंग्वेज कमेटी नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. छामू कृष्ण शास्त्री, नैक बेंगलुरू के पूर्व सलाहकार डॉ. के रामा, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. संजीत सिंह, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय वाइस प्रेसिडेंट हिमानी सूद, एआईसीटीई के चेयरमैन डॉ. टीजी सीथाराम, एआईयू नई दिल्ली के जनरल सेक्रेटरी डॉ. पंकज मित्तल, यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली के कुलपति डॉ. योगेश सिंह मौजूद रहेंगे।

34 विश्वविद्यालयों के शिक्षाविद रहे शामिल
कार्यक्रम में कुल 34 विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया, जिसमें आचार्य नरेंद्र देव यूनिवर्सिटी अयोध्या, अटल बिहारी बाजपेई मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ, बांदा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी बांदा, भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी चंद्रशेखर आजाद विश्वविद्यालय कानपुर, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय लखनऊ, डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा आदि के विशेषज्ञ शामिल हैं।

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