PM को मणिपुर में ईसाइयों को यकीन दिलाना चाहिए कि नहीं है कोई भेदभाव : सिरो मालाबार बिशप
कन्नूर। प्रभावशाली सिरो-मालाबार कैथोलिक चर्च के एक वरिष्ठ पादरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका में यह कहने के बजाए कि भारत में भेदभाव नहीं है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मणिपुर में ईसाइयों को यह भरोसा दिलाना चाहिए।
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थालास्सेरी आर्कबिशप मार जोसेफ पैंप्लेनी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी पूर्वोत्तर राज्य के ईसाइयों को यह भरोसा दिला सकें कि कोई भेदभाव नहीं है तभी उनके इस प्रकार के बयान को भारत के लोग ‘‘गंभीर’’ मानेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ अन्यथा कोई भी यह मान लेगा कि राज्य में हिंसा और हत्या की घटनाओं में शामिल लोगों को सरकार का मौन समर्थन है।’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इस निर्णय के लिए स्वतंत्र हैं कि उन्हें किस पर प्रतिक्रिया देनी है, लेकिन प्रतिक्रिया से परे उनसे उम्मीद की जाती है कि वह राज्य में शांतिपूर्ण माहौल पैदा करें। गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।
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