प्रतापगढ़ : ज्ञानवापी मामले में राजा भैया के पिता के हाँथ में केस की बागडोर

अमृत विचार, प्रतापगढ़ । वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में मुख्य वादिनी राखी सिंह के इच्छा मृत्यु की मांग वाले पत्र के बाद जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कुण्डा के चर्चित विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह ने राखी सिंह से बात की और समझाया। कहा कि अब वह उनकी ओर से ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी का केस लड़ेंगे।
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मई 2021 से मांग करने वाली वादियों में मुख्य वादिनी राखी सिंह ने अन्य वादियों पर दुष्प्रचार व उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की थी। फिलहाल अब उन्होंने अपना फैसला बदल लिया है। उन्होंने राष्ट्रपति को भेजे पत्र में आरोप लगाया कि मुकदमे से नाम वापस लेने का दुष्प्रचार किया गया। जबकि ना तो मेरी तरफ से कोई ऐसा बयान दिया गया और ना ही मैंने या पैरोकार मेरे चाचा जितेन्द्र सिंह विसेन की ओर से कोई सूचना जारी की गई। उन्होंने चार अन्य वादी महिलाओं व उनके वकीलों पर आरोप लगाया कि वे मेरे परिवार को बदनाम कर रहे हैं।
राखी सिंह के इस पत्र के बाद राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह ने दिल्ली में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद सिंह विसेन के घर जाकर मुलाकात की। दो घण्टे बातचीत में उन्होंने राखी सिंह को समझाया और कहा कि वो अब उनकी ओर से ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी का केस लड़ेंगे। राखी सिंह ने इस आश्वासन के बाद इच्छा मृत्यु का अपना फैसला बदल लिया। उनके इस निर्णय का स्वागत करते हुए विसेन परिवार ने ज्ञानवापी के पैरोकार का दायित्व उदय प्रताप सिंह को सौंपने का निर्णय लिया है।
ज्ञानवापी का केस हिंदुओं के पक्ष में आए इसके लिए बेहतर और उचित कदम उठाए जाएंगे। 65 विद्वान अधिवक्ताओं की टीम सुनिश्चित की जा रही है, जिनमें कई प्रमुख नाम विद्वान अधिवक्ताओं की सहमति मिलने के बाद उनके नाम सुनिश्चित किए जा चुके हैं। नामों की घोषणा जुलाई में न्यायालय खुलने से पूर्व होगी। किसी को ज्ञानवापी न तो बेचने दिया जाएगा और न ही सनातनी हिंदुओं की भावना से किसी प्रकार का खिलवाड़ करने दिया जाएगा।
उदय प्रताप सिंह, भदरी कुंडा, प्रतापगढ़
ये भी पढ़ें - प्रयागराज : 23 साल पुराने केस में कांग्रेस सांसद को अंतरिम राहत