प्रयागराज : आवेदन में गलत जानकारी देना उम्मीदवार के संदेहास्पद चरित्र को दर्शाता है

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक समीक्षा अधिकारी के पद के लिए अभ्यर्थी की उम्मीदवारी को खारिज करते हुए कहा कि याची को भर्ती समिति द्वारा उचित रूप से अनुपयुक्त किया गया है। उपरोक्त कृत्य याची के पूर्ववृत्त और चरित्र को प्रदर्शित करता है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की एकल पीठ ने अभिषेक कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। मौजूदा मामले में याची इस तथ्य से अच्छी तरह वाकिफ था कि उसके खिलाफ दो आपराधिक मामले लंबित हैं, लेकिन इसके बावजूद उसने आवेदन पत्र में इसका खुलासा नहीं किया। प्रत्युत्तर हलफनामे में याची ने कहा कि चूंकि साइबर कैफे में व्यक्तियों की मदद से आवेदन पत्र भरा गया था। उनकी असावधानी के कारण उक्त जानकारी आवेदन पत्र में नहीं भरी जा सकी। इस संबंध में यह ध्यान रखना उचित है कि एक उम्मीदवार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह आवेदन पत्र भरते समय निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
अतः यह तर्क उचित नहीं है कि यह एक अनजाने में हुई त्रुटि थी।आवेदन पत्र में किसी उम्मीदवार के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले के बारे में जानकारी मांगने का उद्देश्य चयन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए उम्मीदवार की उपयुक्तता का आकलन करना है, क्योंकि इसका सीधा असर उम्मीदवार के चरित्र और पूर्ववृत्त पर पड़ता है। यदि यह माना जाता है कि याची ने अनजाने में आपराधिक मामलों की लंबितता के बारे में जानकारी प्रस्तुत नहीं की होगी, तो यह भी खारिज नहीं किया जा सकता है कि याची ने कथित जानकारी को जानबूझकर छुपाया होगा। वह इस बात को अच्छी तरह जानता था कि उसके खिलाफ आपराधिक मामलों में आरोप गंभीर हैं और उक्त जानकारी प्रस्तुत करने पर उनके आवेदन पत्र को अस्वीकार किया जा सकता है।
मामले के तथ्यों के अनुसार दिनांक 17 अगस्त 2021 को सहायक समीक्षा अधिकारी के 350 पदों को भरने के लिए योग्य उम्मीदवारों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए थे। याची ने ओबीसी/शारीरिक रूप से विकलांग श्रेणी के तहत उक्त पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। याची चयन के प्रत्येक चरण में उपस्थित हुआ और उक्त पद के लिए सफल घोषित किया गया। चयन समिति द्वारा एक नोटिस जारी कर याची को दस्तावेज सत्यापन के लिए 06.04.2022 को बुलाया गया। याची को इस आशय का एक हलफनामा भी प्रस्तुत करना था कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित है या नहीं। याची ने दस्तावेज सत्यापन के दौरान एक हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें उसके खिलाफ आगरा के ताजगंज थाने में आईपीसी की विभिन्न धाराओं , सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008 की धारा 66 और परीक्षा नियम,1982 की धारा 7 के तहत दर्ज दो एफआईआर का विवरण दिया गया था। फलस्वरूप याची की उम्मीदवारी को इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि याची के खिलाफ लंबित दो आपराधिक मामले 'नैतिक अधमता' के दायरे में आते हैं।
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