प्रयागराज : युवा छात्रों के अनैतिक व्यवहार को नियंत्रित करने हेतु विश्वविद्यालयों में हो सुधारात्मक कार्यक्रमों का क्रियान्वयन

प्रयागराज : युवा छात्रों के अनैतिक व्यवहार को नियंत्रित करने हेतु विश्वविद्यालयों में हो सुधारात्मक कार्यक्रमों का क्रियान्वयन

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने युवा छात्रों के अनैतिक व्यवहार को ठीक करने तथा अनुशासन बनाए रखने के लिए राज्य के विश्वविद्यालयों में दंडात्मक उपायों और सुधारात्मक कार्यों के बीच संतुलन स्थापित करने की बात कही है। न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकल पीठ ने एक अन्य मामले में दिए हाईकोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए निर्देश दिया, जिसमें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को कोर्ट ने सुधार, आत्मविकास और पुनर्वास कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया था, जिससे छात्रों के पथभ्रष्ट आचरण को सुधारा जा सके।

दरअसल मौजूदा मामले में एक विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र को अवसाद की स्थिति में अनुचित व्यवहार करने के कारण सख्त सजा दी गई थी। छात्र ने दंडात्मक कार्यवाही को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया और याचिका में तर्क दिया कि सजा यांत्रिक और अनुपातहीन थी। उसने अपने व्यवहार के लिए माफी भी मांग ली थी, फिर भी उसे दंड दिया गया। छात्र की ओर से आगे तर्क दिया गया कि विश्वविद्यालय के वैधानिक शासन में कमियां हैं और कॉलेज के उप नियम छात्रों के प्रति दंडात्मक दृष्टिकोण की वकालत करते हैं, साथ ही युवा छात्रों के असामान्य व्यवहार को ठीक करने के लिए कोई सुधारात्मक कार्यवाही भी प्रदान नहीं करते हैं।

सभी तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय को एक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के लिए सुधारवादी दृष्टिकोण अपनाने की दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में बताया जाये। इसी क्रम में विपक्षियों के अधिवक्ताओं को निर्देश दिया गया कि वे संस्था द्वारा ऐसे छात्रों को प्रदान की जाने वाली सहायता प्रणालियों के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करें, जो विकृत कार्यों में लिप्त हैं और जो अन्य छात्रों द्वारा उत्पीड़न के शिकार हैं।

हालांकि विपक्षियों की ओर से भी न्यायालय को सूचित किया गया था कि विश्वविद्यालय ने संबंधित विषय में हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णयों के आलोक में पथभ्रष्ट छात्रों से निपटने के लिए एक संरचित सुधार कार्यक्रम बनाने के लिए कदम उठाए हैं। अंत में कोर्ट ने विपक्षियों को उक्त संबंध में यूजीसी अधिसूचना पर ध्यान देने और सुधार कार्यक्रमों के संबंध में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई आगामी 17 मई को सुनिश्चित की गई है।

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