अल्मोड़ा: जलवायु परिवर्तन को सामान्य घटना मानना समझदारी नहीं 

अल्मोड़ा: जलवायु परिवर्तन को सामान्य घटना मानना समझदारी नहीं 

अल्मोड़ा, अमृत विचार। इस बार मौसम का मिजाज आश्चर्यजनक तरीके से बदला है। जलवायु परिवर्तन से हिमालय में मौजूद ग्लेशियरों पर खतरा मंडरा गया है। हालात यह हैं कि उत्तराखंड में एवलांच की घटनाओं मे प्रतिदिन इजाफा हो रहा है, जिसका सामना यहां रहने वाले लोगों को भी करना पड़ रहा है।

वैज्ञानिक मानते हैं कि मौसम में जैसी तब्दीली इस बार देखने को मिली है, ऐसा पूर्व में बहुत कम देखने को मिला है। इस बार शीतकाल में मामूली बारिश और बर्फबारी हुई लेकिन अप्रैल और मई में मौसम का मिजाज अलग ही रंग दिखाने लगा। हालात इतने बिगड़ गए कि जिस महीने में तपती गर्मी होनी चाहिए थी, वहां पारा दस डिग्री से नीचे तक आ पहुंचा। 
 

वैज्ञानिक कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन को सामान्य घटना के रूप में लेना कोई समझदारी नहीं है। जिस महीने में तपती गर्मी रहती हो, उस महीने में हिमालयी राज्यों में हो रही बारिश और बर्फबारी एक असामान्य घटना है, जिसके भविष्य में घातक परिणाम सामने आ सकते हैं। वैज्ञानिकों ने इस बात को माना है और उन्होंने इन महीनों में हो रही बारिश और बर्फबारी से हिमालय में एवलांच की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि इन दिनों हो रही बारिश और बर्फबारी के कारण हिमालय में पैदा हो रहे छोटे ग्लेशियर किसी त्रासदी को भी दोहरा सकते हैं। 

 ऊंचे इलाकों में खतरनाक एवलांच 
अल्मोड़ा। वैज्ञानिकों का मानना है कि, मौसम की तब्दीली ने अब ग्लेशियरों की सेहत बिगाड़ कर रखा दी है। इन दिनों हो रही बारिश और बर्फबारी के कारण हिमालयी बेल्ट में ग्लेशियर लगातार टूट रहे हैं। इतना ही नहीं, ऊंचे इलाकों में खतरनाक एवलांच भी आ रहे हैं। हिमालयी बेल्ट में बड़े ग्लेशियर टूटने से कई छोटे ग्लेशियर वजूद में आ गए हैं।

अकेले पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग जिले में हफ्ते भर के भीतर ग्लेशियर टूटने की पांच से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। रुद्रप्रयाग में ग्लेशियर टूटने से चार धाम यात्रा भी प्रभावित हो रही हैं जबकि पिथौरागढ़ की दारमा और मिलम घाटी में ग्लेशियर टूटने से रास्ते पूरी तरह बंद हो जा रहे हैं। गुंजी के करीब नेपाल के दार्चुला के छांगरू में भारी ग्लेशियर टूटने से पांच लोगों की मौत भी हो गई है। प्रकृति से छेड़छाड़ और अनियोजित विकास को नजरंदाज करने के प्रति हम भले ही अभी आगाह न हों, लेकिन यह किसी बड़े खतरे के संकेत से कम भी नहीं है।