बरेली: कोविड काल में कलेक्ट्रेट में हुआ ‘भ्रष्टाचार’ कोतवाली में कैद

बरेली, अमृत विचार। कोविड काल में लाकडाउन पास बनवाने के नाम पर वसूली करने के आरोप में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के खिलाफ जो भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज हुआ था। उस केस की जांच लापरवाही की भेंट चढ़ गई। जांच कोतवाली की फाइल में कैद होकर रह गई। उस वक्त ऑडियो वायरल होने के बाद कर्मचारी …
बरेली, अमृत विचार। कोविड काल में लाकडाउन पास बनवाने के नाम पर वसूली करने के आरोप में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के खिलाफ जो भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज हुआ था। उस केस की जांच लापरवाही की भेंट चढ़ गई। जांच कोतवाली की फाइल में कैद होकर रह गई।
उस वक्त ऑडियो वायरल होने के बाद कर्मचारी नन्हे लाल को निलंबित करते हुए फरीदपुर तहसील से अटैच कर दिया लेकिन इस संगीन मामले की जांच न प्रशासन स्तर से पूरी की गई और न ही पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। यहां तक कि आरोपी को दो बार सीओ कार्यालय में बुलाया गया लेकिन बयान दर्ज नहीं किए गए। वॉयस नमूने की रिपोर्ट भी चंडीगढ़ लैब से नहीं आई है।
पूरे मामले में ऐसा लग रहा है कि कर्मचारी के केस में जानबूझ कर ढील देकर वसूली के खेल से जुड़े लोगों को बचाने की तैयारी की जा रही है। 20 मई को एक ऑडियो वायरल हुआ था। जिसमें अपर जिलाधिकारी प्रशासन के कार्यालय में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नन्हे लाल एक अन्य व्यक्ति से लाकडाउन पास बनवाने के लिए 2500 रुपये के लेनदेन की बात कर रहा था। उसमें 1500 रुपये पहले लेने और 500 रुपये और देने की बातचीत भी स्पष्ट सुनाई दे रही थी।
कोविड काल में कलेक्ट्रेट में लाकडाउन का पास बनवाने के नाम पर वसूली होने का मामला अखबारों की सुर्खियां बना। जिसकी गूंज शासन तक पहुंची। शासन के नाराजगी जताने पर एडीएम प्रशासन ने आरोपी कर्मचारी को निलंबित करते हुए इस प्रकरण में कोतवाली में भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा दर्ज करवाया था।
मामले की जांच तत्कालीन अपर नगर मजिस्ट्रेट तृतीय को सौंपी थी। अब अपर नगर मजिस्ट्रेट तृतीय का पोस्ट ही समाप्त हो गई। ऐसे में भ्रष्टाचार के प्रकरण की जांच भी ठंडे बस्ते में चली गई। एडीएम कार्यालय के सूत्र बताते हैं कि नन्हे के प्रकरण अभी कुछ नहीं हुआ है। पुलिस ने दो बार नन्हे को सीओ कार्यालय बुलाया लेकिन बयान दर्ज नहीं कराए। ढील के चलते उसकी गिरफ्तारी भी नहीं की गई।